इमरान खान और पाकिस्तान आर्मी के बीच चल रही वर्चस्व की जंग और महंगाई की मार से जूझ रहे पाकिस्तान को भारत से उलझने का एक नया मसला मिल गया है. पाकिस्तान को भारत के नई संसद में लगे उस भित्ति चित्र से परेशानी हो गई है जिसमे प्राचीन भारत के साम्राज्यों और शहरों को दिखाया गया है. पाकिस्तान इस म्यूरल आर्ट को उस अखंड भारत के नक्शे के तौर पर देख रहा, जिसका कभी वो खुद एक हिस्सा रहा था और उसे खौफ है कि कहीं ये अखंड भारत फिर से जिंदा ना हो जाए. 28 मई को को भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के नए संसद भवन का उद्घाटन किया. इस नई संसद की आर्ट गैलरी में कई कलाकृतियां हैं जिनमें प्राचीन भारत का एक भित्तिचित्र है जिसे म्यूरल आर्ट भी कहा जाता है.इस नक्शे में प्राचीन भारत के उन साम्राज्यों और शहरों को चिन्हित किया गया है जो प्राचीन काल में भारत का गौरव थे..इन शहरों में तक्षशिला, मानसेहरा, सिंधु, पुरुषपुर और उत्तरापथ भी शामिल हैंसाल 1947 में बंटवारे के बाद ये इलाके पाकिस्तान का हिस्सा हो गए.
अब पाकिस्तान को डर है कि भारत की संसद में मौजूद अखंड भारत का ये नक्शा कहीं भारत के उन इरादों को तो बयान नहीं कर रहा जिसमें भारत को एक बार फिर से अखंड भारत बनाने की बात कही जाती है. या अगर सीधे-सीधे शब्दों में कहें तो पाकिस्तान खौफजदा है कि कहीं भारत फिर से अखंड भारत बनाने के लिए पाकिस्तान पर कब्जा तो नहीं कर लेगा.
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अखंड भारत का दावा विस्तारवादी मानसिकता का दिखावा- पाकिस्तान विदेश मंत्रालय
भारत की नई संसद में लगे इस चित्र को लेकर पाकिस्तान का यही खौफ सामने आ गया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जाहरा बलोच ने इस मसले पर बयान देते हुए कहा, “बीजेपी के नेता और भारत के कई केंद्रीय मंत्री इस भित्तिचित्र को अखंड भारत से जोड़ रहे हैं. यह अखंड भारत का दावा विस्तारवादी मानसिकता का दिखावा है. ये न सिर्फ केवल भारत के पड़ोसी देशों, बल्कि धार्मिक अल्पसंख्यकों की विचारधारा और संस्कृति को पराजित करना चाहता है. पाकिस्तान की प्रवक्ता का इशारा भारत के केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी के उस ट्वीट को लेकर था जिसमें उन्होंने 28 मई को इस भित्ति चित्र को अखंड भारत बताया था.
दरअसल अखंड भारत एक ऐसा शब्द है जिससे पाकिस्तान हमेशा से ही खौफ खाता आया है.पाकिस्तान को ये डर रहता है कि कहीं भारत अपनी ताकत के लबल पर उसके टुकड़े-टुकड़े ना कर दे.पाकिस्तान का ये कौफ वाजिब भी है क्योंकि भारत ने साल 1971 की जंग में पाकिस्तान को बुरी तरह से मात देकर पूर्वी पाकिस्तान को आजाद करते बांग्लादेश के नाम से एक नया देश बना दिया था.
नई संसद में लगाए गए प्राचीन भारत के इस भित्ति चित्र पर ऑब्जेक्शन करने वाला पाकिस्तान इकलौता पड़ौसी देश नहीं है. इससे पहले नेपाल के पूर्व पीएम बाबूराम भट्टराई और केपी शर्मा ओली भी इस मसले पर बयानबाजी कर चुके हैं. दरअसल इस भित्ति चित्र में लुंबिनी और कपिलवस्तु को भी दिखाया गया है और ये दोनों ही इलाके इस वक्त नेपाल में हैं. भट्टाराई ने तो इस मुद्दे पर भारत सरकार से सफाई मांगते हुए दोनों देशों के रिश्ते खराब होने तक की बात कह डाली जबकि केपी शर्मा ओली ने भारत दौरे पर आए नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ से
पीएम मोदी के साथ मीटिंग में ये मसला उठाने की बात कही
गौर करने वाली बात ये है कि बाबूराम भट्टराई और केपी शर्मा ओली को चीन का करीबी माना जाता है. ओली के कार्यकाल में तो भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद भी खूब सुर्खियों में रहा था. केपी ओली की सरकार ने 2020 में नेपाल का एक नक्शा जारी किया था जिसमें भारत में मौजूद कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख के इलाकों को नेपाल में दिखाया गया था.
वहीं भारत में भी अखंड भारत को लेकर अक्सर बयानबाजी होती रहती है. अप्रैल 2022 में हरिद्वार मे एक कार्यक्रम में आरएसएस के चीफ मोहन भागवत ने अगले 15 साल में अखंड भारत बनने की बात कही थी. हालांकि आरएसएस का कहना है कि अखंड भारत की बात को राजनैतिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक संदर्भ में देखा जाना चाहिए.
सुमित दुबे की रिपोर्ट
Source : News Nation Bureau