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गिलगित-बाल्टिस्तान क्‍यों है भारत के लिए जरूरी, इस पर थी पूरी दुनिया की नजर

कभी गिलगित में अमेरिका (America), तो कभी ब्रिटेन (United Kingdom) या फिर रूस (Russia) अपनी पैठ बनाना चाहते थे.

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Sunil Mishra
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गिलगित-बाल्टिस्तान क्‍यों है भारत के लिए जरूरी, इस पर थी पूरी दुनिया की नजर

गिलगित-बाल्टिस्तान क्‍यों है भारत के लिए जरूरी, थी पूरी दुनिया की नजर

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जम्‍मू-कश्‍मीर (Jammu And Kashmir) से अनुच्‍छेद 370 (Article 370) हटाए जाने के बाद पीओके (Pakistan Occupied Kashmir) की चर्चा यूं ही चल पडी है. इस जगह पर कभी (अभी पाकिस्‍तान के कब्‍जे में) पूरी दुनिया की नजर थी. भारत पर जितने भी आक्रमण हुए, चाहे यूनानियों का आक्रमण हो, शक, हूण, कुषाण या फिर मुगल, वह सारे गिलगित के रास्‍ते हुए थे. हमारे पूर्वज इस बात को समझते थे कि भारत को सुरक्षित रखने के लिए दुश्मन को गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) के उस पार रखना ही होगा.

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कभी गिलगित में अमेरिका (America), तो कभी ब्रिटेन (United Kingdom) या फिर रूस (Russia) अपनी पैठ बनाना चाहते थे. अमेरिका की कोशिश तो वहां सैन्‍य बेस बनाना भी था, जैसा कि तमाम रिपोर्टों में दावा किया जाता है. 1965 की लड़ाई के समय कहा जाता है कि पाकिस्तान (Pakistan) ने गिलगित को रूस (Russia) को देने का वादा भी कर लिया था. आज चीन की नजर गिलगित पर है और वह इस रास्‍ते से अपनी महत्‍वाकांक्षी OROB (One Road One Belt) को इसी रास्‍ते से ले जाना चाहता है.

गिलगित-बाल्टिस्तान की भौगोलिक स्‍थिति ऐसी है कि वहां से आप सड़क के रास्‍ते दुनिया के अधिकांश हिस्‍सों में जा सकते हैं. भारत जब सोने की चिड़िया हुआ करता था, तब 85 % जनसंख्या इन मार्गों से जुड़ी हुई थी. आज हम पाकिस्तान के सामने IPI (Iran-Pakistan-India) गैसलाइन बिछाने को गिड़गिड़ाते हैं. अगर हमारे पास गिलगित होता तो तज़ाकिस्तान के रास्‍ते हम सीधे गैसलाइन को भारत में ला सकते थे.

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दावा तो यह भी किया जाता रहा है कि गिलगित में 50-100 यूरेनियम और सोने की खदाने हैं. यह कभी कश्मीर का हिस्सा नहीं था. यह लद्दाख में था. गिलगित -बाल्टिस्तान, लद्दाख के रहने वाले लोगों की औसत आयु विश्व में सर्वाधिक है, ऐसा दावा किया जाता रहा है. भारत में आयोजित एक सेमिनार में गिलगित-बाल्टिस्तान के एक बड़े नेता को बुलाया गया था. उस नेता ने कहा था- we are the forgotten people of forgotten lands of BHARAT. उन्‍होंने कहा- 60 साल बाद तो आपने मुझे भारत बुलाया और वह भी अमेरिकन टूरिस्ट वीजा पर और आप मुझसे सवाल पूछते हैं कि क्या आप भारत में रहना चाहते हैं.

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उन्‍होंने कहा कि आप गिलगित-बाल्टिस्तान के बच्चों को IIT, IIM में दाखिला दीजिए. AIIMS में हमारे लोगों का इलाज कीजिए. गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान की सेना कितने अत्याचार करती है, लेकिन आपके किसी भी राष्ट्रीय अखबार में उसका जिक्र तक नहीं आता है. पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार के समय POK का मुद्दा उठाया गया. फिर 10 साल पुनः मौन धारण हो गया और फिर से नरेंद्र मोदी जी की सरकार आने पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में ये मुद्दा उठाया था.

Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो

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