गणतंत्र दिवस भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है, जो हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है. यह दिन उस समय को याद करने का होता है जब भारत गणराज्य घोषित हुआ था. इस दिन का महत्व उस समय के संविधान के प्रमुख विचारकों और नेताओं के आदर्शों की ऊंचाई और देश की स्वतंत्रता के स्वप्नों को साकार करने की उम्मीद की गई थी. गणतंत्र दिवस की शुरूआत 26 जनवरी 1950 को हुई थी, जब भारतीय संविधान को अमल में लाया गया और भारत गणराज्य का दर्जा प्राप्त हुआ.इस दिन देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कड़ी मेहनत और आजादी के लिए युद्ध करने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी.
गणतंत्र दिवस का क्या है महत्व?
इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाना एक नागरिक कर्तव्य है, जो उनके अधिकारों और कर्तव्यों की दिशा में सकारात्मक भूमिका निभाने का संकेत है. गणतंत्र दिवस देशवासियों को एक सामूहिक एकता की भावना से जोड़ता है और उन्हें एक सशक्त गणराज्य की दिशा में पुनर्निर्माण करने के लिए प्रेरित करता है.
इस दिन देशभर में सेना, पुलिस, और सुरक्षा बलों के जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है, जो अपने प्राणों की बाजी लगाकर देश की सुरक्षा के लिए समर्पित हैं. इस दिन संविधान के सिद्धांतों और मूल अधिकारों का महत्वपूर्ण पुनरावलोकन होता है, जो नागरिकों को उनके अधिकार और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है.
ये भी पढ़ें- 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लेकर चुनाव आयोग का बड़ा बयान
गणतंत्र दिवस का क्या है इतिहास?
भारतीय संविधान का निर्माण कार्य 9 दिसंबर 1946 से 26 नवंबर 1949 तक, यानी कि लगभग 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन तक चला. 11 दिसबंर 1946 को राजेंद्र प्रसाद को बैठक हुई, जिसमें उन्हें स्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. संविधान निर्माण सभी प्रमुख समितियों की कड़ी मेहनत, विचारशीलता और जनसमर्थन के साथ संपन्न हुआ था. जिसके बाद देश को एक संविधान मिला.
संविधान सभी नागरिकों को समानता, न्याय, और स्वतंत्रता के अधिकार प्रदान करने का माध्यम बन गया है और भारतीय गणराज्य का नींव है. इस संविधान को बनाने में बाबा साहब अंबेडकर की प्रमुख भूमिका थी, आज उन्हीं की बदौलत देश को संविधान मिला, जिसने पूरे भारत को एक सूत्र में बांधा रखा हुआ है. आज देश में हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है और ये अधिकार सविंधान ने ही दिया है.
Source : News Nation Bureau