एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को संसद में पलट कर पहले वाली स्थिति बहाल करने के बाद से ही देश के सवर्णों में इसे लेकर नाराजगी देखी जारी रही है। मध्य प्रदेश से लेकर बिहार तक और तमाम दूसरे राज्यों में सवर्ण सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बनाए रखने की मांग करते हुए इसे काला कानून बता रहे हैं। ऐसे में आपके चैनल न्यूज नेशन पर आज शाम 5 बजे अजय कुमार के साथ 'बड़ा सवाल' शो में इसी मुद्दे पर गर्मागर्म बहस होगी कि आखिर एससी-एसटी एक्ट पर राजनीति क्यों?। इस मुद्दे पर सोशल मीडिया फेसबुक और ट्विटर के जरिए आप भी बहस से जुड़ सकते हैं और मेहमानों से अपने सवाल पूछ सकते हैं।
बहस Live Updates
# हम किसी ब्राह्मण के खिलाफ नहीं, सभी मानव एक है :नवाब मालिक, प्रवक्ता एनसीपी
# अमीरजादों को आरक्षण मिल रहा है, इसके हम खिलाफ है: सूरजपाल सिंह अमू
# बीजेपी को चार साल का हिसाब देना होगा: अनुराग भदौरिया, प्रवक्ता एसपी
# बहस के दौरान बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा, कांग्रेस के DNA में ब्राह्मण नहीं बल्कि कत्लेआम है। वहीं एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ सवर्णों का वोट पाने के लिए ऐसा बयान दे रही है।
# करणी सेना के सूरजपाल अमू ने कहा कि देश में आरक्षण जाति के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर होना चाहिए
जाहिर तौर पर तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और ठीक 8 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा जिसको लेकर बीजेपी नेतृत्व परेशान दिख रहा है।
जब सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून में थोड़े बदलाव किए थे तो इसके खिलाफ पूरे देश में पिछड़ी जातियों ने आंदोलन किया था और विपक्ष ही नहीं सरकारी की सहयोगी पार्टी भी पहले जैसी स्थिति बनाने के लिए सरकार पर दबाव बना रही थी ।
इसी के बाद संसद के मॉनसून सत्र में सरकार ने इस पर संसद के अंदर संशोधन लाकर कानून की पहले वाली स्थिति पर से लागू कर दी थी।
SC/ST पर केंद्र सरकार ने संसद में विधेयक लाकर पलटा सुप्रीम कोर्ट का फैसला
SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए केंद्र सरकार इस मॉनसून सत्र में SC/ST संशोधन विधेयक लेकर आई थी जिसे बाद में वोटिंग के जरिए पास कर दिया गया। विधेयक पर वोटिंग के दौरान एक भी वोट उसके खिलाफ नहीं पड़ा था। सरकार ने विधेयक को पेश करते हुए कहा कि समाज के इस वर्ग को न्याय में हो रही देरी के निवारण के उद्देश्य से इसे लाया गया है।
SC/ST संशोधन विधेयक 2018 बिल के साथ ही SC-ST एक्ट अपने पुराने मूल स्वरूप में आ गया। राज्यसभा में इस बिल के पास होने के बाद राष्ट्रपति ने भी इसे अपनी मंजूरी दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर लगाई थी रोक
एससी/एसटी एक्ट पर दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे में आरोपी के तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दिया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में अग्रम जमानत को भी मंजूरी दे दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी बल्कि गिरफ्तारी के लिए अपॉइंटिंग अथॉ़रिटी की मंजूदी को भी अनिवार्य कर दिया और आदेश दिया था कि गैर सरकारी किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी स्तर की अधिकारी की मंजूरी लेनी होगी।
Source : News Nation Bureau