चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग 11 अक्टूबर को भारत आएंगे जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ उनकी दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता होगी. विदेश मंत्रालय ने कहा , ‘प्रधानमंत्री के आमंत्रण पर ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ के प्रमुख शी चिनफिंग दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता 11 -12 अक्टूबर 2019 को तमिलनाडु के पास महाबलीपुरम में होगी. यह वुहान के बाद दोनों देशों की दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता है.
चीन के साथ महाबलीपुरम का ऐतिहासिक रिश्ता
- करीब 1500 साल पुराने हैं महाबलीपुरम और चीन के संबंध
- महाबलीपुरम को सातवीं सदी में बसाया गया था
- महाबलीपुरम बंगाल की खाड़ी के किनारे एक बड़ा व्यापारिक केंद्र था
- पल्लव वंश के राजा नरसिंह देव बर्मन ने बसाया था
- इतिहास में पल्लव शासन के दौरान चीन के साथ संबंधों की चर्चा
- सातवीं सदी में चीन ने पल्लव राजाओं से किया था समझौता
- तिब्बत सीमा को सुरक्षित रखने के लिए चीन ने किया था समझौता
- पल्लव वंश के तीसरे राजकुमार थे बोधिधर्म
- राजकुमार बोधिधर्म बौद्ध भिक्षु बन गए थे
- चीन में बोधिधर्म को सम्मानित दर्जा प्राप्त है
- बोधिधर्म ने महाबलीपुरम होते हुए चीन की यात्रा की थी
- पल्लव वंश के साथ शुरू हुआ चीन के साथ रिश्ता चोल वंश तक चला
- महाबलीपुरम का जिक्र ह्वेन सांग के यात्रा वृत्तांत में मिलता है
- ह्वेन सांग 650 ईस्वी में भारत आए थे और कांची में रुके थे
- राजा महेंद्र पल्लव ने ह्वेनसांग की अगवानी की थी
- चीन के यात्री फाह्यान ने भी महाबलीपुरम की चर्चा की
- महाबलीपुरम को मामल्लपुरम भी कहा जाता है
- पल्लवों के शासनकाल में चट्टानों को काटकर मंदिर बनाए गए
- महाबलीपुरम में वास्तुकला के शानदार नमूने नज़र आते हैं
- महाबलीपुरम में 4 वर्ग किमी क्षेत्र में 332 स्मारक
- महाबलीपुरम के 13 स्मारक पहाड़ों की चट्टान पर हैं
- पत्थरों से बनी एकाश्म कला के लिए प्रसिद्ध है महाबलीपुरम
- एकाश्म यानी एक चट्टान को काट कर बनाई गई वास्तुकला
- महाबलीपुरम से चीन को निर्यात किया जाता था
- महाबलीपुरम के ज़रिए चीन से आयात भी किया जाता था
- भारत-चीन के बीच 1000 साल तक कड़ी बना रहा महाबलीपुरम
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो