संसद के अंदर हों या बाहर अधिकांश अंग्रेजी में अपनी बात रखने वालीं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Union finance minister Nirmala Sitharaman ) ने कल यानी गुरुवार को लगभग 35 मिनट हिंदी में भाषण दिया. उन्होंने यह भी बताया कि उनको अंग्रेजी में बात करना क्यों ज्यादा पसंद है और क्यों वो हिंदी में स्पीच देने से परहेज करती हैं. दरअसल, सीतारमण यहां हिंदी विवेक मैग्जीन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहीं थीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं बहुत संकोच के साथ हिंदी बोल पाती हूं. क्योंकि व्यक्ति के लिए एक उम्र के बाद में कोई दूसरी भाषा सीखना बहुत मुश्किल काम है. सीतारमण ने आगे कहा कि उन्होंने अपने पति की मातृभाषा तेलुगु को चुना, लेकिन हिंदी को नहीं. हालांकि उन्होंने अपनी स्पीच हिंदी में जारी रखी.
1991 के आर्थिक सुधारों की भी खूब आलोचना की
निर्मला सीतारमण ने इस दौरान 1991 के आर्थिक सुधारों की भी खूब आलोचना की. उन्होंने कांग्रेस सरकार में हुए इन आर्थिक सुधारों को आधे-अधूरे बताया. हिंदी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की उस स्थिति को याद किया जब वह कॉलेज में पढ़ाई कर रहीं थी. सीतारमण ने बताया कि उस समय राज्य में हिंदी के विरोध में हिंसक प्रदर्शन चल रहे थे. हिंदी या संस्कृत को दूसरी भाषा के रूप में चुनने वाले छात्रों को राज्य सरकार द्वारा छात्रवृत्ति के लिए पात्र नहीं माना जाता था, भले ही वे टॉपर हों.
देश की अर्थव्यवस्था पर भी खुलकर बात की
हिंदी में अपनी स्पीच जारी रखते हुए निर्मला सीतारमण ने देश की अर्थव्यवस्था पर भी खुलकर बात की. उन्होंने दावा किया कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने से पहले देश में कोई आर्थिक सुधार नहीं हुआ था. इसके बाद यूपीए के समय के 10 साल भी भ्रष्टाचार में बर्बाद हो गए. जहां केवल निजी स्वार्थ पर ही फोकस रखा गया, जबकि देश के हित काफी पीछे छूट गए.
Source : News Nation Bureau