श्रमिक स्पेशल ट्रेन (Shramik Special Train) के किराये को लेकर राजनीति अब गरमाती दिख रही है. सोमवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने किराये को लेकर सरकार पर न केवल तंज कसे, बल्कि रेल मंत्रालय (Ministry of Railway) की ओर से पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) में 151 करोड़ रुपये चंदा देने को लेकर सवाल भी खड़े किए. सोनिया गांधी ने सवाल उठाया कि जब विदेशों से मुफ्त में लोगों को हवाई जहाज से भारत लाया जा सकता है तो देश के अलग-अलग इलाकों में फंसे मजदूरों को उनके घर छोड़ने के लिए किराया क्यों लिया जा रहा है. सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा, 'एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल रही है, वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपए का चंदा दे रहा है. जरा ये गुत्थी सुलझाइए!'
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सोनिया और राहुल गांधी के बयान देने के बाद कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने भी एक ट्वीट करते हुए कहा, जैसा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने निर्देशित किया है, मैं देशभर के कांग्रेस कमेटियों से आग्रह करता हूं कि वे तमाम स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए प्रवासी मजदूरों को ट्रेन टिकट खरीदने में मदद करें, ताकि वे इस संकट की घड़ी में अपने घर पहुंच जाएं. इसे एक अभियान की तरह लें और किसी भी तरह की जरूरत पड़ने पर सीधे ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी से संपर्क करें.
इससे पहले सोनिया गांधी ने कहा था- श्रमिक व कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं. उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है. सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए. 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर घर वापसी के लिए मजबूर हो गए.
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उन्होंने कहा, न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन. उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांपा और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी. पर देश और सरकार का कर्तव्य क्या है? आज भी लाखों श्रमिक व कामगार पूरे देश के अलग अलग कोनों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन है और न पैसा.
सोनिया गांधी बोलीं, दुख की बात यह है कि भारत सरकार व रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं. श्रमिक व कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं. जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रु. ट्रांसपोर्ट व भोजन इत्यादि पर खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रु. दे सकता है, तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?
Source : News Nation Bureau