कांग्रेस को सांसत में डालने वाले पार्टी के ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) नेता अल्पेश ठाकोर ने शनिवार को उन अटकलों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा था कि वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले हैं. उन्होंने कहा कि उनके मुद्दे फिलहाल सुलझ गए हैं. ठाकोर की घोषणा से कांग्रेस ने राहत की सांस ली है, क्योंकि इसके एक दिन पहले शुक्रवार को पार्टी के दो विधायकों ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. इनमें एक नेता को 24 घंटों के अंदर ही विजय रूपानी सरकार में मंत्री भी बना दिया गया.
अल्पेश 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस में शामिल हुए थे. उन्होंने लगभग एक पखवाड़ा पहले मुख्यमंत्री रूपानी और गुजरात बीजेपी अध्यक्ष जीतूभाई वाघवानी से मुलाकात कर कांग्रेस नेतृत्व की रातों की नींद उड़ा दी थी.
यहां एक संवाददाता सम्मेलन में अल्पेश ने स्वीकार किया कि वह मंत्री पद चाह रहे थे, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व के साथ बैठक के बाद उन्होंने अपना इरादा बदल दिया. उन्होंने शुक्रवार को नई दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से मुलाकात कर अपनी समस्याएं बताई थीं. इस बैठक में गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया भी उपस्थित रहे थे.
ठाकोर ने कहा, "एक समय मैं अपने समुदाय की बेहतर सेवा करने के लिए मंत्री पद चाह रहा था, लेकिन अब संघर्ष करने का फैसला कर लिया है." उन्होंने कहा, "अगर मैं बीजेपी में चला जाता तो मैं छह महीने पीछे चला जाता."
ठाकोर ने यह भी स्वीकार किया कि वह प्रदेश में कांग्रेस के कुछ नेताओं की कार्यप्रणाली से भी असंतुष्ट थे, लेकिन अब यह बीती बात हो चुकी है. राधनपुर से विधायक अल्पेश ने उन अटकलों को खारिज कर दिया जिसमें कहा जा रहा था कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट चाहते हैं. वह उन सवालों पर हंसने लगे, जिसमें कहा गया कि वह सांसद बनना चाहते हैं और उसके बाद अपनी विधानसभा सीट से अपनी पत्नी को लाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, "मेरी पत्नी राजनीति में कभी नहीं आएगी." आगे भी गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, दलितों और आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहेंगे.
Source : IANS