क्या ओमीक्रॉन की लहर के साथ ब्लैक फंगस की होगी वापसी? जानिए विशेषज्ञ की राय 

Black Fungus infection: कोरोना की दूसरी लहर में कई मरीज ब्लैक फंगस जैसी खतरनाक बीमारी के शिकार हुए थे. अब ओमीक्रॉन वेरिएंट की लहर में इस बीमारी का खतरा भी बढ़ रहा है.

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Mohit Saxena
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क्या ओमीक्रॉन की लहर के साथ ब्लैक फंगस की होगी वापसी?( Photo Credit : file photo)

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कोरोना की दूसरी लहर के बाद अचानक ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मामले आने लगे थे. अप्रैल-मई 2021 में जब कोरोना अपने चरम पर था, तब कई लोग म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस का शिकार हो रहे थे. इस बीमारी की वजह से आंखों और अन्य अंगों को नुकसान पहुंच रहा था और इस दौरान कई लोगों की मौतें हुई थीं. अब ओमीक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) के कारण कोरोना की तीसरी लहर में भी ब्लैक फंगस का डर बढ़ने लगा है. दरअसल ब्लैक फंगस एक ऐसी बीमारी है जो किसी बैक्टीरिया और वायरस के बजाय एक विशेष प्रकार के फंगस के कारण होती है. यह एक प्रकार से बेहद घातक संक्रमण होता है. इससे आंखों में जलन, चेहरे, वाक के पास या आंख के पास त्वचा काली पड़ जाती है. सिर में तेज दर्द होना और चेहरे पर दोनों ओर या एक तरफ सूजन दिखना आदि इसके लक्षण हैं.

ब्लैक फंगस का जोखिम सबसे अधिक

ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों के अंधा होने, अंगों में खराबी और समय पर इलाज न मिलने से मौत की आशंका बनी रहती है. ब्लैक फंगस का खतरा सबसे अधिक ऐसे रोगियों को होता है जो हाई ब्लड शुगर लेवल वाले हैं या लंबे समय से स्टेरॉयड पर निर्भर हैं. इसके अलावा कमजोर इम्युनिटी वाले रोगी या शख्स जिसका ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ है वे लोग भी इस बीमारी का शिकार हो जाते हैं.

हाल ही में मुंबई में कोरोना पॉजिटिव एक 70 वर्षीय मरीज में 12 जनवरी को ब्लैक फंगस के लक्षण सामने आए. इसके बाद से उनका इलाज जारी है. ओमीक्रॉन वेरिएंट की लहर में अभी ब्लैक फंगस के मामले सामने नहीं आए हैं लेकिन क्या बीते साल की तरह दोबारा से यह बीमारी लोगों को अपना शिकार बना सकती है. इस सवाल पर संक्रामक रोगों से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लैक फंगस का अधिक खतरा उन लोगों में है जो लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहते हैं. इसके साथ सामान्य रोगियों में स्टेरॉयड के उपयोग के कारण ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि इस बीमारी से जुड़े सभी जोखिम ओमीक्रॉन वेरिएंट के साथ बहुत कम हैं.

दरअसल ओमीक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित मरीजों में संक्रमण के हल्के लक्षण होते हैं और इसके इलाज में स्टेरॉयड या ज्यादा ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है. इस  कारण ब्लैक फंगस की संभावना कम रहती है.

 

HIGHLIGHTS

  • बैक्टीरिया और वायरस के बजाय एक विशेष प्रकार के फंगस के कारण होती है बीमारी
  • आंखों में जलन, चेहरे, वाक के पास या आंख के पास त्वचा काली पड़ जाती है
  • मुंबई में 70 वर्षीय मरीज में 12 जनवरी को ब्लैक फंगस के लक्षण सामने आए
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