तीनों पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में पहली बार भरतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार बनाने जा रही है।
इसे बीजेपी के करिश्माई नेता और पीएम मोदी का जादू ही कहेंगे की इतिहास में पहली बार इन तीन पूर्वोत्तर राज्यों में बीजेपी की सरकार बनने जा रही है।
बीजेपी के लिए त्रिपुरा में जीत हासिल करना सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है क्योंकि 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने 50 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था जिनमें से 49 की ज़मानत ज़ब्त हो गई थी। ऐसे में इस बार इस तरह की जीत पार्टी के लिए ऐतिहासिक है।
बता दें कि मार्च-1993 के बाद से त्रिपुरा में सीपीएम (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) की सत्ता काबिज़ है।
पिछले बीस सालों में कोई पार्टी माणिक सरकार को चुनौती भी नहीं दे पा रही थी लेकिन इस बार उनके लिए भी अपनी सीट निकाल पाना टेढ़ी खीर साबित हो रही है।
त्रिपुरा और नागालैंड में बीजेपी को स्पष्ट जीत मिलती दिखाई दे रही है। हालांकि मेघालय में कांग्रेस को बढ़त मिल रही है। बीजेपी का कहना है कि वह मेघालय में भी सरकार बनाने को लेकर विचार कर रही है।
मेघालय बीजेपी प्रभारी नलिन कोहली ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, 'मेघालय में अगर दूसरी पार्टी का परफॉर्मेंस देखें तो लगता है कि लोगों ने कंग्रेस के ख़िलाफ़ वोट डाला है। नेताओं के बीच इस मुद्दे पर बातचीत होगी और संभव है कि चुनाव बाद के गठबंधन पर विचार किया जाएगा।'
वहीं बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा, 'मेघालय में किसी दल को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। ऐसे में हमारी कोशिश होगी की वहां भी गैर-कांग्रेसी सरकार बने। हेमंत बिस्व सरमा थोड़ी देर में मेघालय के लिए रवाना हो रहे हैं।'
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ज़ाहिर है बीजेपी इसी तर्ज़ पर जम्मू-कश्मीर में भी घुर विरोधी पीडीपी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) के साथ मिलकर राज्य में सरकार चला रही है।
वर्तमान में बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी है और कुल मिलाकर 19 राज्यों में इसकी सरकार है। हालांकि 14 राज्यों में बीजेपी मुख्य रुप से सत्ता में है जबकि अन्य 5 राज्यों में सहयोगी दलों के साथ गठबंधन की सरकार चला रही है।
कुल मिलाकर 7 सिस्टर्स राज्य (असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा) पर नज़र दौड़ाएं तो सिक्किम छोड़कर सभी राज्यों में बीजेपी की सरकार बनती दिख रही है। बता दें कि बीजेपी असम, मणिपुर, और मिज़ोरम में पहले ही सरकार बना चुकी है।
कुल मिलाकर इस चुनाव के बाद देखें तो कांग्रेस 3 राज्य (मिज़ोरम, कर्नाटक और पंजाब) और एक केंद्र शासित प्रदेश (पुडुचेरी) में सिमट कर रह गई है जबकि कम्युनिस्ट पार्टी केवल 1 सीट (केरल) पर बाकी है।
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सुनील देवधर को माना जा रहा है जीत का हीरो
हाल के दिनों में बीजेपी का प्रभाव नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र में काफी बढ़ा है। माना जा रहा है कि सुनील देवधर ने इस जीत के लिए काफी मेहनत की है। देवधर लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं
उन्होंने मीडिया से दूर रहकर चुपचाप बीजेपी के लिए ज़मीनी स्तर पर काम किया।
हालांकि देवधर मराठी हैं इसके बावजूद बंगाली ज़ुबान पर उनकी जबरदस्त पकड़ है। कहा जाता है कि बीजेपी के लिए नॉर्थ ईस्ट की ज़िम्मेदारी संभालते हुए उन्होंने स्थानीय भाषाएं भी सीख लीं।
मेघालय, त्रिपुरा, नगालैंड में आदिवासी समुदाय के लोगों से मिलते हुए देवधर उनसे उन्हीं की भाषा में बात करते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान 'मोदी लाओ' की जगह 'सीपीएम हटाओ', 'माणिक हटाओ' जैसे नारे देवधर की ही उपज मानी जाती है।
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Source : Deepak Singh Svaroci