देश के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व कर्मचारी ने मंगलवार को कहा कि वह मामले की जांच करने वाली शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की समिति के समक्ष पेश नहीं होगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कर्मचारी ने कहा कि मंगलवार तीसरा दिन था जब वह न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति के समक्ष पेश हुई.लेकिन गंभीर चिंता और आपत्तियों की वजह से मैं आंतरिक समिति की इन कार्यवाहियों में अब भाग नहीं ले रही हूं.
बता दें कि शिकायतकर्ता द्वारा आरोप के संदर्भ में शीर्ष अदालत के 22 न्यायाधीशों को पत्र लिखने के बाद, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे की अगुवाई में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी.
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समिति में शुरुआत में न्यायमूर्ति एन.वी. रमना शामिल थे, जिन्होंने गुरुवार को शिकायतकर्ता द्वारा उनके समिति में शामिल होने पर सवाल उठाने के बाद खुद को समिति से अगल कर लिया था.
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि न्यायमूर्ति रमना प्रधान न्यायाधीश के करीबी दोस्त हैं और इसी वजह से मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती.
शिकायतकर्ता सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व जूनियर कोर्ट असिस्टेंट है. उन्होंने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत के सभी न्यायाधीशों को एक शपथ-पत्र भेजा था.
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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन शोषण के आरोपों की खबर के बाद हर कोई सकते में था. सुप्रीम कोर्ट में काम करने वाली एक महिला ने इस तरह के संगीन आरोप लगाए थे और इस संबंध में 26 वरिष्ठ कानूनविदों को चिट्ठी भी लिखी गई थी.
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गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने ऊपर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को खारिज करते हुए भारत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शनिवार (20 अप्रैल) को कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है और इसे अस्थिर करने के लिए 'बड़े पैमाने पर षड्यंत्र' रचा जा रहा है.
Source : News Nation Bureau