50 सालों में 235 फीसदी से ज्यादा हो गई महिला मतदाताओं की संख्या

लैंगिक अंतर एक महत्वपूर्ण मानदंड है, जो 1962 में शून्य से 16.71 प्रतिशत नीचे था, न केवल बंद हुआ है, बल्कि 2019 में 0.17 प्रतिशत से अधिक हो गया है.

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Nihar Saxena
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Women Voter

अन्य देशों में टुकड़ों-टुकड़ों में मिला महिलाओं को वोट डालने का अधिकार( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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भारत में 1971 के चुनावों के बाद से महिला मतदाताओं में 235.72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. देश में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक हो गई है और 2019 के आम चुनाव में उनकी भागीदारी 67 प्रतिशत से अधिक दर्ज की गई है. यह जानकारी भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा ने दी. आजादी के बाद से सात दशकों और 17 आम चुनावों के बाद भारत में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों की तुलना में अधिक हो गई है. भारत में आजादी के साल से ही महिलाओं को वोट देने का अधिकार हासिल था.

1971 के बाद महिला वोटरों में बड़ी वृद्धि
महिलाओं, दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों की चुनावी भागीदारी में वृद्धि विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए चंद्रा ने यह बात कही, जिसमें 24 देशों के लगभग सौ प्रतिनिधियों ने भाग लिया. उन्होंने कहा, लैंगिक अंतर एक महत्वपूर्ण मानदंड है, जो 1962 में शून्य से 16.71 प्रतिशत नीचे था, न केवल बंद हुआ है, बल्कि 2019 में 0.17 प्रतिशत से अधिक हो गया है. भारत में 1971 के चुनावों के बाद से महिला मतदाताओं में बड़ी वृद्धि देखी गई है. चंद्रा ने इस बात भी प्रकाश डाला कि कैसे चुनाव आयोग ने महिलाओं, दिव्यांगों, वरिष्ठ नागरिकों और ट्रांसजेंडर लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए.

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अधिकांश देशों में टुकड़ों में मिला महिलाओं को मताधिकार
उन्होंने कहा कि ज्यादातर देशों और क्षेत्रों में महिलाओं को टुकड़ों में वोट देने का अधिकार मिला. उन्होंने उल्लेख किया कि महिलाओं को समान मताधिकार देने में अमेरिका को 144 साल लग गए. भारत में आजादी के साल से ही महिलाओं को मत देने का अधिकार हासिल था. उन्होंने कहा, हालांकि इस तथ्य की अनदेखी नहीं की जा सकती कि कई भारतीय महिलाओं ने मतदान के समान अधिकार के लिए अभियान चलाया. उन्होंने कहा कि भारतीय मताधिकार आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम में अधिक से अधिक महिलाओं की भागीदारी के साथ गति पकड़ी.

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डाक मतपत्रों की संख्या में भी वृद्धि
अपने संबोधन के दौरान, सुशील चंद्रा ने विशेष रूप से 80 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों और कोविड-प्रभावित मतदाताओं के लिए उनके घरके दरवाजे पर ही मतदान सुविधा सुनिश्चित करने के लिए 2020 में ईसीआई द्वारा शुरू की गई पहल के बारे में भी बताया. उन्होंने बताया कि पिछले पांच राज्य विधानसभा चुनावों में, 4.5 गुना अधिक मतदाताओं ने डाक मतपत्रों के माध्यम से चुनावी प्रक्रिया में भाग लिया और आउटरीच और सुविधा के प्रयासों को व्यापक बनाने की गुंजाइश है. उन्होंने कहा कि आज के समय में देश में लगभग 1.5 करोड़ 80 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाता हैं.

HIGHLIGHTS

  • 2019 के आम चुनाव में महिलाओं की भागीदारी 67 प्रतिशत
  • देश में 80 साल या अधिक उम्र के 1.5 करोड़ मतदाता
  • भारत में आजादी के साल से ही महिलाओं को मिला मताधिकार
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