केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए बुधवार को कहा कि वह सबरीमाला को अयोध्या नहीं बनने देंगे. सितंबर माह में सर्वोच्च न्यायालय ने 10 से 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने की इजाजत दी थी, जिसके बाद सबरीमाला कस्बे में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं. जैसे ही बुधवार को केरल विधानसभा में कार्यवाही की शुरुआत हुई, कांग्रेस नीत विपक्ष के विधायक हाथों में बैनर और पोस्टर लिए मंदिर कस्बे से निषेधात्मक आदेश हटाए जाने की मांग करने लगे.
पूरे प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी सदस्य अध्यक्ष के सामने खड़े रहे और नारेबाजी करते रहे. पूर्व देवासोम मंत्री वी.एस. शिवकुमार ने आरोप लगाया कि वाम सरकार और संघ परिवार सबरीमाला मंदिर की पवित्रता को तबाह करने के लिए साथ आ गए हैं. विजयन ने कहा कि मंदिर कस्बे में लगे निषेधात्मक आदेश वापस नहीं लिए जाएंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा, "हम शीर्ष अदालत के आदेश का पालन करने के लिए बाध्य हैं जबकि कांग्रेस के समर्थन से संघ परिवार मंदिर में संकट पैदा कर रहा है."
उन्होंने कहा, "हम किसी भी कीमत पर सबरीमाला को अयोध्या नहीं बनने देंगे और निषेधात्मक आदेश वापस लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है."
विजयन ने कहा कि और तो और केरल उच्च न्यायालय ने भी सबरीमाला में अब प्रभावी नियमों का समर्थन किया है. उन्होंने कहा, "कांग्रेस सबरीमाला मुद्दे का राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास कर रही है."
विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथाला ने कहा कि अब साफ हो गया है कि विजयन का एकमात्र एजेंडा कांग्रेस को कमजोर करने का है और इसके लिए उन्होंने भाजपा/आरएसएस को पूरा समर्थन दे दिया है.
उन्होंने कहा, "मंदिर में प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस द्वारा आरएसएस नेता वलसान थिलेंकरी को माइक पकड़ाने से सब सामने आ गया है..विजयन उस व्यक्ति की तरह बर्ताव कर रहे हैं जिसने टाइटेनिक को बनाया और कहा कि यह जहाज कभी डूबेगा नहीं. लेकिन वह डूब गया. विजयन को भी अपने किए का सबक मिलेगा. जिस तरीके से वह सबरीमाला मुद्दे को संभाल रहे हैं, उससे श्रद्धालु गहरी पीड़ा में हैं."
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जब विपक्षी सदस्यों ने अध्यक्ष पी. श्रीरामकृष्णन के आसन की ओर कूच किया तो उन्होंने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी.
Source : News Nation Bureau