पाकिस्तान ने एक बार फिर से विश्व बैंक के समक्ष भारत की तरफ से कथित तौर पर सिंधु जल संधि के उल्लंघन का मामला उठाया है।
सोमवार को इस मुद्दे को लेकर विश्व बैंक में बैठक हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कश्मीर यात्रा के दौरान 330 मेगावाट वाली किशनगंगा हाईड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया, जिसे लेकर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई है।
पाकिस्तान का आरोप है कि भारत की इस परियोजना से उसे मिलने वाले पानी और नदी के प्रवाह पर असर पड़ेगा, जो पाकिस्तान की तरफ आ रही हैं।
प्रधानमंत्री के इस प्रोजेक्ट के उदघाटन किए जाने के तत्काल बाद ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे लेकर आपत्ति जताई थी।
विदेश मंत्रालय ने कहा था कि विवाद का समाधान हुए बिना ऐसे किसी प्रोजेक्ट की शुरुआत दोनों देशों के बीच हुई सिंधु जल संधि (1960) का उल्लंघन है।
सिंधु जल संधि दोनों देशों के बीच नदियों के पानी के बंटवारे की प्रक्रिया को तय करता है।
विश्व बैंक के प्रवक्ता ने कहा, 'सिंधु जल संधि बेहद अहम अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा और भविष्य की मानवीय जरूरतों एवं विकास के लक्ष्यों के मुताबिक जल प्रबंधन की व्यवस्था का प्रावधान करता है।'
उन्होंने कहा, 'बैठक में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की तरफ से उठाए गए मुद्दों को लेकर चर्चा हुई ताकि समझौते के तहत उन मुद्दों का सौहाद्रपूर्ण समाधान निकाला जा सके।'
हालांकि विश्व बैंक के अधिकारियों ने पाकिस्तान की तरफ से की गई शिकायत के बारे में विस्तार से कुछ नहीं बताया। विश्व बैंक में आज भी इस मुद्दे को लेकर बैठक जारी रहेगी।
पाकिस्तान का कहना रहा है कि सिंधु जल समझौते का संरक्षक होने के नाते विश्व बैंक को उसकी आपत्तियों का समाधान करना होगा।
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HIGHLIGHTS
- किशनगंगा हाईड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को लेकर पाकिस्तान ने की विश्व बैंक में शिकायत
- पाकिस्तान ने सिंधु समझौते के तहत विश्व बैंक के समझ भारत के खिलाफ शिकायत की है
Source : News Nation Bureau