पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण के लिए हर साल 5 जून को 'विश्व पर्यावरण' (World Environment Day 2019) दिवस पूरे देश में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने के लिए 1972 में की गई की थी. इसे 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था. 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया.
आज के परिपेक्ष में देखें तो 'विश्व पर्यावरण' दिवस अब मात्र एक तारिख तक सीमित रह गई है. दिनों दिन पर्यावरण की हालात बद से बदतर होती जा रही है. मानसून में आए बदलाव से अंदाजा लगया जा सकता है कि हमारा भविष्य किस अंधकरा को ओर जा रहा है.
आज लोग प्रकृति संसाधनों का गलत इस्तेमाल कर रहे है, घटते या खत्म होते जंगल, ग्लेशियर का पिघलना एक खतरनाक संकेत है. हर दिन इंसान अपनी सुविधा के लिए पेड़ों को तेजी से काट रहा है, नतीजन आज कई घने जंगल बंजर जमीन बन चुके है या उस जगह बड़ी-बड़ी इमारत, फैक्ट्रियां बनी हुई है.
एक खतरनाक संकेत है तेजी से कटते पेड़ और खत्म होते जंगल-
1. इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट (आईएसएफआर) के अनुसार, 2017 में भारत में 708,273 स्क्वायर किलोमीटर यानी देश की कुल जमीन का 21.54% हिस्से पर ही जंगल हैं. जबकि सीआईए की वर्ल्ड फैक्ट बुक 2011 के अनुसार, दुनिया में 39,000,000 स्क्वायर किलोमीटर जमीन पर जंगल हैं.
2. भारत के लिहाज से बात करें तो देश में प्रति व्यक्ति सिर्फ 28 पेड़ ही आते हैं. भारत में पेड़ों की संख्या करीब 35 अरब है. जबकि चीन में 139 अरब पेड़ हैं और प्रति व्यक्ति के लिहाज से 102 पेड़ आते हैं.
3. वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो सबसे ज्यादा पेड़ रूस में है जहां 641 अरब पेड़ हैं तो इसके बाद कनाड़ा, ब्राजील और अमेरिका का नंबर आता है जहां क्रमशः 318, 301 और 228 अरब पेड़ हैं.
4. पेड़ों के लगातार कटाव से वन क्षेत्र लगातार खत्म होते जा रहे हैं. सलाना 1 करोड़ 87 लाख (1.87 मिलियन) एकड़ जंगल खत्म जा रहे हैं.
ये भी पढ़ें: पंजाब में हरियाली लाने के लिए मोबाइल ऐप के जरिए लगेंगे 13 लाख पौधे
बता दें कि 1990 से 2016 के बीच दुनिया से 502,000 स्क्ववायर मील (13 लाख स्क्वायर किलोमीटर) जंगल क्षेत्र खत्म हो गए हैं. विश्व बैंक के अनुसार, अब तक दक्षिण अफ्रीका से ज्यादा बड़े इलाके के जंगल दुनिया से खत्म हो गए हैं. पिछले 50 सालों में अमेजन जंगल के क्षेत्र में 17 फीसदी की कमी आई है.
Source : News Nation Bureau