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विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा का निधन, कोरोना से हुए थे संक्रमित

चिपको आंदोलन के नेता और विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा अब नहीं रहे. विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् बहुगुणा का कोरोना वायरस के चलते निधन हो गया है.

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Dalchand Kumar
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Sundarlal Bahuguna

विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा का कोरोना के चलते निधन( Photo Credit : फाइल फोटो)

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चिपको आंदोलन के नेता और विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा अब नहीं रहे. विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् बहुगुणा का कोरोना वायरस के चलते निधन हो गया है. 95 वर्ष की उम्र में सुंदरलाल बहुगुणा ने ऋषिकेश एम्स में आखिरी सांस ली है. वह कुछ दिनों पहले कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे. जिसके बाद हालत बिगड़ने पर उनको ऋषिकेश एम्स में भर्ती करवाया गया था. काफी दिनों से उनका यहां इलाज चल रहा है, मगर शुक्रवार को उनका निधन हो गया. सुंदरलाल बहुगुणा प्रख्यात गढ़वाली पर्यावरणवादी और चिपको आंदोलन के नेता थे.

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सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है. उन्होंने ट्वीट किया, 'श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी का निधन हमारे देश के लिए एक बड़ी क्षति है. उन्होंने प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के हमारे सदियों पुराने लोकाचार को प्रकट किया. उनकी सादगी और करुणा की भावना को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. मेरे विचार उनके परिवार और कई प्रशंसकों के साथ हैं. शांति.'

वहीं उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत ने ट्वीट किया, 'चिपको आंदोलन के प्रणेता, विश्व में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध महान पर्यावरणविद् पद्म विभूषण श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के निधन का अत्यंत पीड़ादायक समाचार मिला. यह खबर सुनकर मन बेहद व्यथित हैं. यह सिर्फ उत्तराखंड के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण देश के लिए अपूरणीय क्षति है.'

मुख्यमंत्री ने लिखा, 'पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें 1986 में जमनालाल बजाज पुरस्कार और 2009 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. पर्यावरण संरक्षण के मैदान में श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के कार्यों को इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा.' तीरथ सिंह रावत ने लिखा, 'मैं ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और शोकाकुल परिजनों को धैर्य व दुख सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं.'

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विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा पिछले कई सालों से हिमालय में वनों के संरक्षण के लिए लड़ रहे थे. वह पहले 1970 के दशक में चिपको आंदोलन के प्रमुख सदस्य में से एक थे. बाद में 1980 के दशक से शुरू होकर 2004 के शुरू में एंटी टिहरी डैम आंदोलन की अगुवाई भी की थी. आपको दें कि चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को भी अपना समर्थन दिया था. गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर से किसान राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. 

HIGHLIGHTS

  • 95 वर्षीय सुंदरलाल बहुगुणा का निधन
  • कोरोना वायरस से हुए थे संक्रमित
  • विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् थे सुंदरलाल
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