दिसंबर के अंत से ही कोरोना वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन सामने आ रहे हैं, जिसकी जिनोम सीक्वेंसिंग करने में 4 से 5 दिन का समय लग जाता है, लेकिन अब सीएसआइआर की आईजीआईबी लैबोरेट्री ने एक ऐसी व्यवस्था और तकनीक विकसित की है. जिससे महज़ 70 मिनट जाए यानी 1 घंटे के आसपास के समय में कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति की स्ट्रेन का पता लगाया जा सकता है. भारत में 70 लाख से अधिक हेल्थ वर्कर और फ्रंटलाइन वर्कर को वैक्सीन का पहला डोज दिया जा चुका है, जो भारत की कुल आबादी का तकरीबन आधा फ़ीसदी है, जबकि ब्रिटेन में एक चौथाई और इजराइल में एक तिहाई जनसंख्या का टीकाकरण हो चुका है. उसके बावजूद इन देशों में कोरोना के नए मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं.
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इसके पीछे की वजह है कोविड-19 का नया स्ट्रेन जो ब्राज़ील ,नाइजीरिया, ब्रिटेन और साउथ अफ्रीका के नाम से जाना जाता है. ऐसे में भारत के अंदर नए स्क्रीन के फैलने का बड़ा खतरा है. जिसे देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश भर की 10 लेबोरेटरी को जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए विकसित किया है ,फिर भी नया ट्रेन पता करने में 4 से 5 दिन का वक्त लग जाता है, लेकिन अब सीएसआईआर की आईजीआईबी लैबोरेट्री ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे सिर्फ 70 मिनट के अंदर यह पता किया जा सकता है कि कोरोनावायरस व्यक्ति नए ट्रेन से संक्रमित है या नहीं.
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हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय और दिल्ली सरकार के द्वारा किए गए तीनों सर्वे के मुताबिक देश की 70% जनसंख्या अभी कोरोनावायरस की हुई है उनके अंदर एंटीबॉडी नहीं है ,लिहाजा भारत के लिए बेहद जरूरी है कि कोरोनावायरस भारत में नहीं फैल पाए ,क्योंकि ब्रिटेन समेत कई देशों के कोरोनावायरस स्ट्रेन जनसंख्या में बड़ी तेजी से फैलते हैं. ऐसे में यह नई तकनीक समय बचाती है जिससे नए स्ट्रेन को पकड़ना और कंटेन करना ज्यादा आसान हो गया है.
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आप के मन में अभी भी यह सवाल रह गया होगा कि अगर कुछ अन्य देशों में अलग तरह के कोरोनावायरस स्ट्रेन सामने आए ,तो क्या इस तकनीक से उनका पता लगाना भी मुमकिन है ? जी हां बिल्कुल मुमकिन है. पहले जिनोम सीक्वेंसिंग से सारा डाटा कलेक्ट किया जाएगा ,फिर एल्गोरिदम से इसी व्यवस्था में जोड़ा जाएगा और अंत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पता किया जाएगा कि नया ट्रेन किस देश का है.
HIGHLIGHTS
- नऐ स्ट्रेन का पता लगाने में अभी लगते हैं 4 से 5 दिन.
- जितना ज्यादा वक्त लगता है उतना ज्यादा नया संक्रमण फैलने का होता है खतरा.
- जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए बहुत बड़ी लैबोरेट्री और इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए.
Source : News Nation Bureau