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World Population Day: क्या सच में भारत की आबादी तेजी से बढ़ रही है, जानिए सब कुछ

आज विश्व जनसंख्या दिवस है. यूएन की एक रिपोर्ट का दावा है कि साल 2023 तक भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन से आगे निकल जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में भारत की आबादी 1.412 अरब है, जबकि चीनी की आबादी 1.426 अरब है.

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Iftekhar Ahmed
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विश्व जनसंख्या दिवसः क्या सच में भारत की आबादी तेजी से बढ़ रही है( Photo Credit : File Photo)

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World Population Day: आज विश्व जनसंख्या दिवस है. यूएन (UN) की एक रिपोर्ट का दावा है कि साल 2023 तक भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन से आगे निकल जाएगा. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में भारत की आबादी 1.412 अरब है, जबकि चीनी की आबादी 1.426 अरब है. अनुमान ये भी है कि साल 2050 तक भारत की आबादी 1.668 बिलियन होगी. वहीं, चीन को लेकर अनुमान है कि यहां साल 2050 तक 1.317 बिलियन आबादी होगी.

भारत की राज्यवार आबादी
साल 2011 में हुए जनगणना के मुताबिक, भारत की कुल जनसंख्या 121.09 करोड़ है. उत्तर प्रदेश देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है. साल 2001 में यूपी की आबादी 16.6 करोड़ थी, जो कि साल 2011 में बढ़कर 19.98 करोड़ पहुंच गई. पश्चिम बंगाल की आबादी साल 2001 में 8.01 करोड़ से बढ़कर साल 2011 में 9.12 करोड़ हो गई. बिहार की आबादी साल 2001 में 8.29 करोड़ से बढ़कर साल 2011 में 10.4 करोड़ हो गई. वहीं महाराष्ट्र की आबादी साल 2001 में 9.68 करोड़ से बढ़कर साल 2011 में 11.2 करोड़ हो गई.

भारत में कुल प्रजनन दर में लगातार कमी आ रही है
अगर हम साल 1965 से साल 2021 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो पाते हैं कि देशभर में जहां साल 1965 प्रजनन दर 5.89 पाया गया था, वहीं साल 2021 में घटकर 2 पर आ गया. ये आंकड़ा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण यानी एनएफएचएस का है. एनएफएचएस-5 के आंकड़े बताते हैं कि हर दशक में जनसंख्या बढ़ने की दर कम हो रही है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 1000 पुरुष पर 1020 महिलाएं हैं. (कुल प्रजनन दरः यानी प्रति महिला के 2 बच्चे)

जनसंख्या नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार क्या कर रही हैं..?
17 दिसंबर 2021 को लोकसभा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रविण पवार ने कहा कि असंतुलित जनसंख्या वृद्धि से निपटने के लिए प्रयास और उसी में अंतर के मुद्दे को दूर करने के लिए सरकार सभी समुदायों को गर्भनिरोधक जानकारी, सेवाएं, और वस्तुएं सार्वभौमिक रूप से निशुल्क प्रदान करती है. इसके अलावा सरकार परिवार नियोजन सेवाओं की सुलभता और अंतिम छोर तक उसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न योजनाएं कार्यान्वित कर कर रही है. 

मिशन परिवार विकास (एमपीवी)- यह कार्यक्रम गर्भ निरोधक और परिवार नियोजन सेवाओं की निरंतर बढ़ रही सुलभता के लिए 13 राज्यों में कार्यान्वित किया जा रहा है. ये राज्य सात उच्च संकेन्द्रण राज्य (उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और असम) और 6 पूर्वोत्तर राज्य (अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड और मिजोरम) है.

एमपीवी योजना निम्नवत पर केंद्रित हैः
• गर्भ निरोधकों की सुलभता में सुधार
• संवर्धन योजनाएं
• वस्तु सुरक्षा सुनिश्चित करना
• कार्मिकों का क्षमता निर्माण
• गहन निगरानी
कुल प्रजनन दर (टीएफआर) वर्ष 2019-20 (एनएफएचएस-5) में 2.0 तक कम हो गई तो प्रतिस्थापन स्तर से कम है.
36 में से 31 राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों ने पहले ही प्रतिस्थापन स्तरीय प्रजनन (एनएफएचएस-5) अर्जित कर लिया है.
आधुनिक गर्भनिरोधक उपयोग में 56.5 फीसदी (एनएफएचएस) तक कमी हो गई है. 

उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की तैयारी
अगस्त 2021 में उत्तर प्रदेश लॉ कमीशन) ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी थी. साथ ही लॉ कमीशन ने जनसंख्या नियंत्रण से जुड़े कानून का ड्राफ्ट भी तैयार कर योगी सरकार को सौंप दिया था. बिल के फाइनल ड्राफ्ट में कमीशन ने दो से ज्यादा बच्चों के माता-पिता को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने समेत कई सुविधाओं से वंचित रखने की सिफारिश की. साथ ही वन चाइल्ड पॉलिसी को प्रोत्साहन देने पर भी जोर दिया गया है. 

इन राज्यों में दो-बच्चों की नीति लागू है-
• मध्य प्रदेश- मध्य प्रदेश सिविल सर्विस नियमों के मुताबिक, अगर 26 जनवरी 2001 से पहले किसी के तीसरे बच्चे का जन्म हुआ है तो वह सरकारी नौकरी में नहीं जा सकता.  उच्च न्यायिक सेवाओं में भी यह नियम लागू.
• उत्तराखंड- दो से ज्यादा बच्चे होने पर जिला पंचायत और ब्लॉक डेवलपमेंट कमिटी का सदस्य नहीं बनने दिया जाता.
• आंध्र प्रदेश- पंचायती राज कानून के हिसाब से अगर किसी को 30 मई 1994 से पहले दो से ज्यादा बच्चे हुए हैं तो स्थानीय चुनाव नहीं लड़ सकता.
• राजस्थान- दो बच्चों से ज्यादा हों तो सरकारी नौकरी में नहीं जा सकते. इसके अलावा राजस्थान पंचायती राज एक्ट 1994 के हिसाब से अगर किसी के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो वह (महिला या पुरुष कोई भी) पंच या सदस्य के रूप में चुनाव नहीं लड़ सकता.
• महाराष्ट्र- किसी के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो वह ग्राम पंचायत, नगर निगम जैसे चुनावों में नहीं लड़ सकता. महाराष्ट्र सिविल सर्विस नियमों के मुताबिक, दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी.
• गुजरात- साल 2005 कुछ कानूनों में संशोधन के बाद दो ये ज्यादा बच्चे वालों को पंचायतों, नगर पालिकाओं और नगर निगमों लड़ने से रोका गया था. 
• ओडिशा- जिला परिषद एक्ट में 1992 में एक बदलाव हुआ था. इसके बाद से दो से ज्यादा बच्चे होने पर पंचायत या नगर निगम में कोई पोस्ट नहीं मिलती.
• असम- साल 2019 में बीजेपी सरकार ने ही कानून बनाया था कि जिनको दो से ज्यादा बच्चे होंगे वह 1 जनवरी 2021 के बाद सरकारी नौकरी नहीं पा सकेंगे.

Source : Shankresh Kumar

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