पिछले 2-3 सालों से बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के कारण पूरी दुनिया को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. धरती को प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओँ से बचाने के लिए विश्व के कई देश एक साथ आगे आये हैं. इन देशों ने पृथ्वी को बचाने के लिए कई देशों ने मिलकर एक जन आंदोलन खड़ा कर दिया है. पिछले 3- सालों के दौरान पूरी दुनिया में इस प्रदूषण विरोधी आंदोलन ने जोर पकड़ा है. जैसे-जैसे दुनिया भर के लोगों को इस मामले में जागरुकता हो रही है तब से आंदोलन जोर पकड़ता जा रहा है. इस आंदोलन में इस बात की मांग की जा रही है कि सभी देशों की सरकारें शून्य कार्बन उत्सर्जन की एक मियांद तय कर दें. ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बीमारियों से सुरक्षित रहे. अगर इस प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग पर अभी से हम लोग जागरुक नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध हवा और साफ पानी के लिए भी तरस जाना पड़ेगा.
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इन देशों में लागू हुआ पर्यावरण आपातकाल
देश की राजधानी दिल्ली ही नहीं दुनिया के कई बड़े शहर प्रदूषण की मार झेल रहे हैं. अक्टूबर 2019 तक दुनिया के 1143 ऐसी सरकारें हैं केंद्र के अलावा (स्थानीय राज्य सरकारें) देश हैं सरकारें हैं जिन्होंने क्लाइमेट इमरजेंसी लागू कर दी है. एक मई 2019 को ब्रिटेन की संसद ने जलवायु आपातकाल घोषित किया था. इसके पहले 5 दिसंबर 2016 को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में डेयरबिन शहर में भी क्लाइमेट इमरजेंसी लागू की जा चुकी है. ब्रिटेन के एक दर्जन से अधिक शहर और कस्बे पहले से ही क्लाइमेट इमरजेंसी लागू कर चुके हैं. जून 2019 में पोप फ्रांसिस ने वेटिकन सिटी में इमरजेंसी आपातकाल घोषित किया था. फ्रांस, पुर्तगाल, आयरलैंड, कनाडा, अर्जेंटीना, आस्ट्रिया और स्पेन सहित कई देशों ने ये सिस्टम लागू किया है.
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भारत में भी क्लाइमेट इमरजेंसी घोषित करने की मांग
भारत सरकार देश में प्रदूषण खत्म करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है साल 2020 तक भारत सरकार पूरी खेती को अकार्बनिक खेती में तब्दील करने का दावा कर रही है. इसके अलावा साल 2030 तक केंद्र सरकार भारत को कचरामुक्त बनाने का दावा भी कर रहा है. बाहरी देशों से आने वाले पर्यटकों की भीड़ को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रति व्यक्ति 250 डॉलर प्रतिदिन का शुल्क तय किया है, लेकिन इन सब के बावजूद भारत की राजधानी दिल्ली समेत कई बड़े शहर प्रदूषण की मार से त्रस्त हैं. यही वजह है कि भारत में भी जलवायु आपातकाल घोषित करने को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली गई है. इस याचिका में इस बात की मांग की गई है कि केंद्र सरकार किसी भी तरह से साल 2025 तक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन शून्य स्तर पर ले आए.