एनडीए सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) को लेकर इतराती रही है और इसका जहां-तहां बखान भी करती रही है, लेकिन अब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री रहे और बीजेपी छोड़ चुके बागी नेता यशवंत सिन्हा का कहना है कि यह उनकी सोच का परिणाम है. सिन्हा ने हाल ही में आई अपनी आत्मकथा ''रिलेन्टलेस'' में कहा, 'राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना मेरी सोच का परिणाम है.
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उन्होंने कहा, 1970 के दशक में जब मैं जर्मनी में तैनात था तो उस समय मैंने इस बारे में सोचा था. जर्मनी अपने राजमार्गों के लिये प्रसिद्ध है. इसके बाद मैंने संकल्प लिया कि जब भी मौका मिलेगा, मैं भारत में भी ऐसे ही राजमार्गों पर काम करूंगा.' 1998 में शुरू की गई एनएचडीपी में भारत में प्रमुख राजमार्गों को उच्च स्तर पर अद्यतन करना, पुन: स्थापित और चौड़ा करने का लक्ष्य रखा गया था. इसमें चार महानगरों को आपस में जोड़ने की स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना, श्रीनगर-कन्याकुमारी के बीच उत्तर-दक्षिण गलियारा तथा पोरबंदर-सिचलर के बीच पूर्वी-पश्चिमी गलियारे का निर्माण भी शामिल था. उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना भी उन्हीं की सोच है.
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सिन्हा ने अपनी किताब में वाजपेयी से हुई मुलाकात का भी जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने पहली बार गांवों में सड़कों के निर्माण के लिये नई योजना शुरू करने और उसके लिये अलग से कोष बनाने का सुझाव दिया था. सिन्हा ने कहा, 'मैंने सुझाव दिया था कि योजना का नाम अटल बिहारी वाजपेयी ग्राम सड़क योजना रखा जाना चाहिये. वाजपेयी ने योजना के विचार को तो स्वीकार कर लिया, लेकिन खुद का नाम जोड़ने के सुझाव को खारिज कर दिया था.
सिन्हा ने कहा कि उन्होंने वाजपेयी द्वारा इन योजनाओं का श्रेय लेने पर कभी बुरा नहीं माना, क्योंकि वह सरकार के प्रमुख के अलावा हमारे शीर्ष नेता भी थे.
Source : Bhasha