पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले के बाद पहले तो भारत सरकार ने कार्रवाई करते हुए सभी अलगाववादियों की सुरक्षा वापस ले ली, लेकिन अब जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. अलगाववादी संगठन के प्रमुख यासीन मलिक को पुलिस ने उनके श्रीनगर के आवास से उठाया था. सूत्रों के मुताबिक, उन्हें सेंट्रल जेल भेज दिया गया. हालांकि, इससे पहले सुरक्षा छीने जाने के बाद यासीन मलिक ने कहा था कि उन्हें सरकार ने पहले भी सुरक्षा दी ही नहीं थी तो फिर वो छीन क्या रहे हैं.
यासीन मलिक ने कहा था कि बीते 30 सालों से मेरे साथ कोई सुरक्षाकर्मी नहीं है. ऐसे में जो कह रहे हैं कि सुरक्षा वापस हटा ली गई है वो क्या क्या हटाने के बारे में बात कर रहे हैं. मलिक ने कहा कि आज तक उनके घर पर भी कभी कोई सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई थी.
गौरतलब है कि इससे पहले 6 फरवरी को भी उन्हें पुलिस ने हिरासत में लिया था. मलिक की गिरफ्तारी उसी दिन हुई थी, जब संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जेआरएल) ने 21 जनवरी, 1990 को सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मारे गए 50 नागरिकों की याद में श्रीनगर और करीबी इलाकों में विरोध स्वरूप बंद का आह्वान किया. यह घटना उस समय हुई थी जब सुरक्षा बलों ने शहर के गाव कादल इलाके में एक भारी जुलूस को रोक दिया था.
बता दें कि 21 जनवरी 1990 को गावकदल में एक राष्ट्रविरोधी रैली में शामिल कथित आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर गोली चलाई थी. इसके बाद सुरक्षाबलों ने भी गोली चलाई थी और उसके बाद वहां मची अफरा-तफरी व हुई फायरिंग में 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे. अलगाववादी खेमा इस घटना के लिए सुरक्षाबलों को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराते हुए गावकदल कांड को कश्मीर का जलियांवाला कांड करार देते हुए हर साल इसकी बरसी पर बंद का आयोजन करता है.
Source : News Nation Bureau