उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की तरफ से लव जिहाद पर कानून बनाने पर देश के रिटायर नौकरशाहों के बीच बहस की जंग छिड़ गई है. देश के 104 पूर्व नौकरशाहों ने पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि यूपी राजनीतिक घृणा, विभाजन और कट्टरता का केंद्र बन गया है. वहीं, इसके बाद सोमवार को 224 से ज्यादा पूर्व सैनिक, पूर्व न्यायाधीश और कई बुद्धिजीवियों ने जवाबी पत्र में सरकार के काम की तारीफ की हैं.
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बताया जा रहा है कि सरकार के पक्ष में लिखे गए पत्र में कहा गया है कि यह सियासत से प्रेरित है. साथ ही कहा गया है कि ऐसे लोग एक लोकप्रिय और चुनी हुई सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को जब भी मौका मिलता है, वो सरकार के हर काम की बुराई करते हैं.
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तीन पेज की चिट्ठी में देश के मशहूर रिटायर जज, ब्यूरोक्रेट, आर्मी अफ़सर और पूर्व कुलपतियों ने संयुक्त बयान जारी किए हैं. जो कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और राज्य सभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल योगेन्द्र नारायण की ओर से जारी किया गया है. इस पर 224 बुद्धिजीवियों के हस्ताक्षर हैं. इन्होंने पहले पत्र लिखने वालों की आलोचना की है. साथ ही कहा है कि इनके बयान को ब्यूरोक्रेसी की राय न समझी जाए. बता दें कि उत्तर प्रदेश में 27 नवंबर को जारी अध्यादेश में धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया का जिक्र है और अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाई गई है. बीजेपी नीत मध्य प्रदेश सरकार ने भी इसी तरह का अध्यादेश जारी किया है.
Source : News Nation Bureau