दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ज़फरुल इस्लाम (Zafarul Islam Khan) ने अग्रिम ज़मानत के लिए दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) का रुख किया है. ज़फरुल इस्लाम ने कहा- उनके खिलाफ FIR बदनीयती की भावना से दायर की गई. उनके खिलाफ़ तथ्यों को ग़लत तरीके से पेश किया गया. पुलिस ने ज़फरुल इस्लाम के खिलाफ देशद्रोह और धार्मिक वैमनस्य फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया है. हाईकोर्ट ज़फरुल इस्लाम की अर्जी पर 12 मई को सुनवाई कर सकता है.
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इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में उन्हें अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पद से हटाए जाने की मांग को लेकर याचिका दायर हुई थी. अर्जी में कहा गया था कि ज़फरुल इस्लाम का बयान देश की एकता, सम्प्रुभता के खिलाफ है. उनके फेसबुक पोस्ट से अंतराष्ट्रीय स्तर पर देश की बदनामी हुई है. देशद्रोह का मामला दर्ज होने के बावजूद वो उन्हें उनके पद से हटाया नहीं गया है.
07 मई को दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम के घर छापा मारा था. सोशल मीडिया पर एक विवादास्पद पोस्ट के मामले में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. छापेमारी को लेकर जफरुल इस्लाम खान ने दिल्ली पुलिस से कहा था कि पुलिस उन्हें जबरदस्ती थाने पर ले जाने के लिए मजबूर नहीं कर सकती.
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उन्होंने कहा कि मैं हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हूं और पूरा शहर कोरोना वायरस संक्रमण के प्रकोप से घिरा है. यह बहुत जोखिम भरा काम होगा. ऐसे में अगर मुझे कुछ हो गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. स्थानीय लोगों ने भी साइबर सेल का विरोध किया और दिल्ली की साइबर सेल की टीम बिना उन्हें लिये ही वापस लौट गई.
दिल्ली पुलिस ने वसंत कुंज निवासी एक व्यक्ति की ओर से शिकायत मिलने के बाद खान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह) और 153ए (धर्म, नस्ल और जन्म स्थान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता भड़काने) के तहत मामला दर्ज किया था.
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उधर, प्रमुख मुस्लिम नेताओं ने जफरुल इस्लाम खान के खिलाफ दर्ज एफआईआर को वापस लेने की मांग की है. कई मुस्लिम नेताओं के हस्ताक्षर से जारी एक बयान में कहा गया है, "हम दिल्ली पुलिस द्वारा डॉ. जफरुल इस्लाम खान के खिलाफ कार्रवाई की निंदा करते हैं. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की पक्षपातपूर्ण भूमिका एक बार फिर दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई से उजागर हुई है."
Source : Arvind Singh