दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन जफरुल इस्लाम खान (Zafarul Islam Khan) ने भड़काऊ पोस्ट लिखने से पहले यह भी नहीं सोचा कि खुद कुवैत सरकार (Quwait Govt) और भारतीय विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) ने सोशल मीडिया पर चल रहे दावों का खंडन कर दिया है. यह सब जानते हुए भी उन्होंने फेसबुक पर भड़काऊ पोस्ट लिखा और उसे लेकर अब बवाल मच गया है. कई नेताओं ने जफरुल इस्लाम खान पर कार्रवाई की मांग की है.
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दरअसल, सोशल मीडिया पर पिछले कई दिनों से कुवैत के हवाले से भारत में मुस्लिमों के साथ अत्याचार के झूठे दावे को लेकर भ्रामक पोस्ट लिखे जा रहे हैं. भारत की धार्मिक बदनामी को लेकर एक मुहिम चलाई जा रही है. Dr. alshoreka नाम के शख्स के ट्विटर हैंडल से कुछ दिन पहले लिखा गया, "कुवैत के मंत्रिपरिषद ने भारत में मुस्लिमों पर धार्मिक हमले की निंदा की है." साथ ही कुवैत मंत्रिपरिषद ने संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन OIC और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप करने की अपील की है. कई अरब कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और राजघरानों ने भारत में हिंदू बहुसंख्यकों द्वारा भारतीय मुसलमानों पर बढ़ते हमलों के खिलाफ आवाज उठाई थी.
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दूसरी ओर, 27 अप्रैल को ही विदेश मंत्रालय ने इस बारे में कहा, ''भारत के लिए फैला जा रहे भ्रामक पोस्ट से कुवैत सरकार का कोई लेना-देना नहीं है. कुवैत सरकार ने भरोसा दिलाया है कि वो भारत के साथ प्रगाढ़ दोस्ती चाहते हैं. भारत के आंतरिक मामलों में दखल पर कुवैत किसी के साथ नहीं है.''
सोशल मीडिया पर यह भी चर्चा चल रही है कि कुवैत के शाही परिवार और सरकार के नाम पर झूठे पोस्ट किए जा रहे हैं, लेकिन दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरूल इस्लाम खान ने ना तो उस पर ध्यान दिया और ना ही 27 अप्रैल को विदेश मंत्रालय की ओर से बताई गई जानकारी से खुद को अवगत कराया.
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कौन हैं जफरुल इस्लाम खान
जफरुल इस्लाम खान 14 जुलाई 2017 को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष बने. इनकी पहचान इस्लामिक विद्वान के तौर पर की जाती है. जनवरी 2000-दिसंबर 2016 तक मिल्ली गजट से जुड़े रहे. भारत, मिस्र और ब्रिटेन में पढ़ाई करने वाले जफरुल इस्लाम खान ने अंग्रेजी, उर्दू और अरबी में 50 से ज्यादा किताबें लिखी हैं. वे ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के 3 बार अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
Source : News Nation Bureau