AIMPLB (ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) के सदस्य जफरयाब ज़िलानी ने राम मंदिर भूमि पूजन पर सवाल उठाया है. न्यूज़ नेशन से एक्सक्लुसिव बातचीत में उन्होंने कहा कि PM मोदी और सीएम योगी के कार्यक्रम में शामिल होने पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह 175 लोग शामिल हुए. बतौर हिन्दू भूमि पूजन में कार्यक्रम में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री शामिल होते. साथ ही उन्होंने कहा कि देश सेक्युलर है और PM सभी मजहबों का होता है. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम को सरकारी फंक्शन नहीं बनाना चाहिए था. इसको धार्मिक कार्यक्रम रहने देना चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया, ये कहकर की सदियों के बाद मंदिर फिर वहीं स्थापित होने जा रहा है.
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AIMPLB ने जो कहा है कि वहां मस्जिद थी और मस्जिद है वो सही है- जिलानी
जबकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि 12वीं सदी के बाद मंदिर के कंस्ट्रक्शन का कोई प्रमाण नहीं है. ASI रिपोर्ट के हवाले से ऐसा कहा गया तो फिर मंदिर को 1528 में धवस्त करने का सवाल कहां से उठता है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को हम मानते हैं लेकिन जो बातें SC ने मानी हैं, उनको कम से कम गलत न ठहराया जाए. AIMPLB ने जो कहा है कि वहां मस्जिद थी और मस्जिद है वो सही है. भगवान राम की पैदाइश को लेकर इस मुकदमे के गवाह भी ये नहीं बता पाए कि उनका जन्म कब हुआ. 9 लाख साल से 1.5 करोड़ साल तक की बातें भगवान राम की पैदाइश को लेकर कही गई है.
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काशी में मुस्लिम महिलाओं ने राम आरती शुरू की
वहीं अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास होते ही काशी में मुस्लिम महिलाओं ने राम आरती शुरू की. राम मंदिर के शिलान्यास के साथ ही पूरे देश मे खुशी और जश्न मनाने का सिलसिला शुरू हो गया है. धर्म नगरी काशी में राम मंदिर के शिलान्यास के अवसर पर साम्प्रदायिक एकता की मिशाल देखने को मिली. यहां मुस्लिम और हिन्दू महिलाओं ने भगवान राम की आरती की और पूजन अर्चना किया.