28 साल बाद अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस मामले में बुधवार को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले पर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी नाखुशी जताई है. न्यूज नेशन पर 'देश की बहस' प्रोग्राम में जिलानी ने कहा कि सेशन जज का फैसला है ये और कोई ये नई बात नहीं है. ये फैसला सही नहीं है.
उन्होंने कहा कि देश की जो न्यायपालिका है उसमें सिस्टम दिए गए हैं कि अगर उसमें गलती है तो उसे हाईकोर्ट देखेगा और उसमें भी गलती है तो सुप्रीम कोर्ट उसे देखेगा.
जिलानी ने आगे कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फाइनल जजमेंट ही माना जाएगा और मैंने माना भी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर मुसलमानों ने कहा तो उन्होंने माना भी. क्योंकि राम मंदिर शिलान्यास के समय वो अपने घरों में खामोश बैठे रहे.
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बाबरी विध्वंस के बारे में जिलानी ने कहा कि सभी ने कहा कि उमा भारती वहां पर नारे लगा रही थी कि बाबरी मस्जिद तोड़ दो. विटनेस को कोर्ट ने नजर अंदाज कर दिया.
जिलानी ने कहा कि ये केस फोटोग्राफ से साबित होने वाला केस नहीं है. इसके विटनेस हैं, जिन्हें कोर्ट ने नजरअंदाज कर दिया है.
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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे. इस मामले को लेकर ये डिबेट में तय नहीं होगा कि ये जजमेंट सही है या नहीं.
उन्होंने कहा कि सीबीआई अपने लीगल एडवाइजर से राय लेगी और अपने आप को बचाने के लिए अपनी बात रखनी चाहिए. मैं सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट की रिस्पेक्ट करता हूं. ये सिर्फ बाबरी विध्वंस ही नहीं डिमोलिश हुआ है यहां रूल ऑफ लॉ डिमोलिश हुआ है.
Source : News Nation Bureau