गणपति विसर्जन के लिए ढोल ताशा के साथ 30 से अधिक लोगों के जाने पर प्रतिबंध लगाए जाने के NGT के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. ऐसे में अब पुणे में 30 से अधिक लोग ढोल ताशा के साथ गणपति विसर्जन में शामिल हो सकेंगे. आपको बता दें कि एक NGO की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार, पुणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, पुलिस कमिशनर पुणे सहित अन्य को नोटिस दिया है.
NGO ने CJI के सामने NGT के 30 अगस्त के आदेश को सामने रखते हुए कहा कि NGT ने पुणे में गणपति विसर्जन को लेकर ढोल ताशा समूह में लोगों की संख्या को प्रतिबंधित करने का लिखित आदेश दिया है. गणेश प्रतिमा विसर्जन को लेकर NGT लोगों की संख्या को किस तरह सीमित कर सकता है?
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100 साल से भी ज्यादा समय से बहुत गहरा सांस्कृतिक महत्व रहा
एनजीटी के आदेश के खिलाफ पुणे में मौजूद 'ढोल-ताशा' ग्रुप की याचिकार पर आज सुनवाई का निर्णय लिया गया था. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस दौरान राज्य के अधिकारियों को नोटिस दिया. सुनवाई दौरान दलील पेश की गई कि 'ढोल-ताशा' का पुणे में 100 साल से भी ज्यादा समय से बहुत गहरा सांस्कृतिक महत्व रहा है. इसकी शुरुआत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने आरंभ की. उन्होंने कहा कि एनजीटी के 30 अगस्त के आदेश से ऐसे समूहों पर बहुत अधिक असर होगा.