PM Modi at ICAE: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया. ये कार्यक्रम 65 साल बाद भारत में आयोजित हो रहा है. इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में इस कार्यक्रम के आयोजन लेकर खुशी जताई. पीएम मोदी ने कहा कि, मुझे खुशी है कि 65 साल के बाद आईसीएई की ये कॉन्फ्रेंस भारत में फिर हो रही है. इसके साथ ही पीएम मोदी ने कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए लोगों को देश के किसानों की ओर से उनका स्वागत किया.
सभी पदार्थों में अन्न श्रेष्ठ- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत जितना प्राचीन है उतनी ही प्राचीन कृषि और खाने को लेकर हमारी मान्यताएं हैं हमारे अनुभव है. पीएम मोदी ने कहा कि, भारतीय कृषि परंपरा में साइंस को और लॉजिक को प्राथमिकता दी गई है. आज फूड न्यूट्रीशियंस को लेकर इतनी चिंता दुनिया में हो रही है लेकिन हजारों साल पहले हमारे ग्रंथों में कहा गया है कि सभी पदार्थों में अन्न श्रेष्ठ है इसलिए अन्य को सभी औषधियों का स्वरूप उनका मूल कहा गया है.
#WATCH | Speaking at the inauguration ceremony of the 32nd International Association of Agricultural Economists, PM Narendra Modi says, "Along with water shortage and climate change, nutrition is a big challenge but India has a solution for this - India is the biggest producer of… pic.twitter.com/tZmotwhSbz
— ANI (@ANI) August 3, 2024
'कृषि परासर ग्रंथ पूरे मानव इतिहास की धरोहर'
पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमारे अन्न को औषधीय प्रभावों के साथ इस्तेमाल करने का पूरा आयुर्वेद विज्ञान है. ये पारंपरिक ज्ञान का सिस्टम भारत के समाज जीवन का हिस्सा है. लाइफ और फूड को लेकर ये हजारों वर्ष पहले का भारतीय विजडम है इसी विजडम के आधार पर कृषि का विकास हुआ है. भारत में करीब दो हजार वर्ष पहले 'कृषि परासर' नाम से जो ग्रंथ लिखा गया था वो पूरे मानव इतिहास की धरोहर है.
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पीएम मोदी ने दी ग्रंथ के बारे में जानकारी
पीएम मोदी ने कहा कि ये वैज्ञानिक खेती का एक कॉन्प्रेहेंसिव डॉक्यूमेंड है जिसका अब ट्रांसलेटेड वर्जन भी मौजूद है. इस ग्रंथ में कृषि पर ग्रह नक्षत्रों का प्रभाव, बादलों के प्रकार, रेन फॉल को नापने का तरीका और प्रकार, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, जैविक खाद पशुओं की देखभाल, बीज की सुरक्षा कैसे की जाए, ऐसे अनेक विषयों पर इस ग्रंथ में विस्तार से बताया गया है.
#WATCH | Speaking at the inauguration ceremony of the 32nd International Association of Agricultural Economists, PM Narendra Modi says, "In India, even today we plan by keeping in mind the six seasons. We have 15 agricultural climatic zones - all have their own speciality. If you… pic.twitter.com/IuPHuh20u1
— ANI (@ANI) August 3, 2024
देश में कृषि से जुड़े अनेक संस्थान
इसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए भारत में कृषि से जुड़ी शिक्षा और शोध का एक मजबूत ईकोसिस्टम बना हुआ है. इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च के ही सौ से ज्यादा रिसर्च संस्थान हैं. भारत में एग्रीकल्चर और उससे संबंधित विषयों की पढ़ाई के लिए 500 से ज्यादा कॉलेज हैं. भारत में 700 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र हैं जो किसानों तक नई टेक्नोलॉजी पहुंचाने में मदद करते हैं.
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प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारतीय कृषि की एक और विशेषता है, भारत में हम आज भी 6 सीजन को ध्यान में रखते हुए प्लान करते हैं. हमारे यहां 15 एग्रो क्लाइमेट की अपनी अलग खासियत है. भारत में अगर आप 100 किमी ट्रैवल करें तो खेती बदल जाती है, मैदानों के खेती अलग है, हिमालय की खेती अलग है. रेगिस्तान, शुष्क रेगिस्तान की खेती अलग है. जहां पानी कम होता है वहां की खेती अलग है और कोस्टल बेल्ट की खेती अलग है.. ये जो डायवर्सिटी है यही ग्लोबल फूड की सिक्योरिटी के लिए भारत को उम्मीद की किरन बनाती है.