Edible Oil Price: त्योहारी सीजन में देशवासियों को महंगाई का झटका लगने की संभावना है.दरअसल, मध्य प्रदेश के व्यापारियों के दबाव में केंद्र सरकार अपने एक और निर्णय में बदलाव कर सकती है. इससे पहले राज्य के व्यापारियों की मांग पर केंद्र सरकार ने काबुली चने पर स्टॉक लिमिट को हटाया दिया था. अब मोदी सरकार खाद्य तेलों के आयात पर लगने वाले शुल्क की दरों में बढ़ोतरी कर सकती है. जिसके चलते त्योहारों से पहले खाद्य तेल की कीमतों में उछाल आने की संभावना है.
जानें क्यों आयात शुल्क बढ़ाना चाहते हैं व्यापारी
यही नहीं केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने भी खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने का सुझाव दिया है. कृषि मंत्रालय ने इसके पीछे स्वदेशी तिलहन उत्पादकों के हितों की रक्षा को इसका कारण बताया है. बता दें कि केंद्र सरकार जल्द ही 6800 करोड़ रुपये वाले राष्ट्रीय तिलहन मिशन की घोषणा कर सकती है. जिसके चलते केंद्र सरकार आयात शुल्क में इजाफा कर सकती है. जिससे स्थानीय उपज के अच्छे दाम मिल सकें.
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आयातित तेलों पर ड्यूटी बढ़ाने की मांग
बता दें कि हाल ही में सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) के चेयरमैन डेविश जैन दिल्ली आए थे. जहां उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की थी. बता दें कि सोपा लंबे समय से आयातित तेलों पर ड्यूटी बढ़ाने की मांग कर रहा है. एसोसिएशन का कहना है कि ऐसा करने से किसानों को अपने उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मिल सकात है.
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साथ ही स्वदेशी तेल उद्योग से भी दबाव हट जाएगा. बता दें कि वर्तमान में क्रूड पाम तेल, सोयाबीन तेल तथा क्रूड सूरजमुखी तेल पर 5.5 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू है. जिसमें सेस भी शामिल है. इसी तरह रिफाइंड खाद्य तेल पर 13.75 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगता है.
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सोयाबीन की घटती कीमतों से नाराज किसान
यही नहीं मध्य प्रदेश के किसान सोयाबीन की घटती कीमतों से भी नाराज हैं. किसानों का कहना है कि जब तक सीमा शुल्क दर में बढ़ोत्तरी नहीं होती है तब तक तिलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को प्रेरित-प्रोत्साहित करना बेहद मुश्किल है. गौरतलब है कि इससे पहले केंद्र सरकार ने काबुली चने पर स्टॉक लिमिट को प्रदेश के व्यापारियों की मांग पर हटा दिया था. अब केन्द्र सरकार जल्द ही 6800 करोड़ रुपये वाले राष्ट्रीय तिलहन मिशन की घोषणा कर सकती है.