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'DoPT ही कर सकता है मेरे खिलाफ कार्रवाई, UPSC के पास नहीं शक्ति', हाईकोर्ट में बोलीं पूर्व IAS पूजा खेडकर

Pooja Khedkar News: पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी सफाई में कहा कि आयोग के पास मेरे खिलाफ कार्रवाई करने की शक्ति नहीं है. सिर्फ कार्मिक विभाग ही उनके खिलाफ कोई एक्शन ले सकता है.

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Suhel Khan
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Pooja Khedkar
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Pooja Khedkar News: पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि यूपीएससी के पास उनके खिलाफ कार्रवाई करने की कोई शक्ति नहीं थी. बता दें कि यूपीएससी परीक्षा में धोखाधड़ी के आरोप में पूजा खेडकर की उम्मीदवारी इसी साल संघ लोक सेवा आयोग ने रद्द कर दी थी. उसके बाद उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया.

दिल्ली उच्च न्यायालय में अपने जवाब में, उन्होंने तर्क दिया कि सिविल सेवाओं के लिए चुने जाने और परिवीक्षाधीन के रूप में नियुक्त होने के बाद यूपीएससी के पास उनकी उम्मीदवारी को अयोग्य घोषित करने की शक्ति नहीं थी. पूजा खेडकर ने कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार केवल कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के पास है.

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दिल्ली हाईकोर्ट में क्या बोलीं पूजा?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, खेडकर ने कहा, "डीओपीटी (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) अकेले अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1954 और सीएसई 2022 नियमों के नियम 19 के अनुसार प्रोबेशनर नियमों के तहत कार्रवाई कर सकता है."

आयोग ने रद्द की थी उम्मीदवारी

बता दें कि यूपीएससी ने पूजा खेडकर की अनंतिम उम्मीदवारी को रद्द करते हुए उनके यूपीएससी की सभी परीक्षाओं में शामिल होने पर भी प्रतिबंध लगा दिया. आयोग ने ये निर्णय उनके अपनी फर्जी पहचान बनाने और अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का दोषी पाए जाने के बाद लिया गया. पैनल ने उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई थी.

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उसके बाद इसी महीने उन्होंने यूपीएससी के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था. पूजा खेडकर ने अपनी फर्जी पहचान के आरोप पर कहा कि यूपीएससी ने परीक्षा में बैठने से पहले उनके बायोमेट्रिक डेटा का सत्यापन किया था. उन्होंने आगे कहा कि, 2022 में उनके साक्षात्कार के के दौरान आयोग द्वारा सभी दस्तावेजों का सत्यापन किया गया था. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी गई है.

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यूपीएससी ने दिया ये जवाब

अदालत में दायर अपने हालिया जवाब में, संघ लोक सेवा आयोग ने कहा कि खेड़कर की हिरासत में पूछताछ "धोखाधड़ी" की भयावहता का पता लगाने के लिए आवश्यक थी जो अन्य व्यक्तियों की मदद के बिना नहीं की जा सकती थी. आयोग ने कोर्ट में कहा कि, "धोखाधड़ी की गंभीरता अभूतपूर्व है, जो न केवल एक संवैधानिक संस्था - शिकायतकर्ता - के खिलाफ की गई है, जिसकी परंपराएं अबाधित और अद्वितीय हैं, बल्कि बड़े पैमाने पर जनता के खिलाफ भी की गई हैं, जिसमें इस देश के नागरिक भी शामिल हैं, जिनमें  यूपीएससी की विश्वसनीयता पर अत्यंत भरोसा है."

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