India-China Relation: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC) पर तनाव कम होता दिख रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कूटनीतिक मुलाकात के साथ, देपसांग और डेमचोक में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू हो गई है. यह कदम भारत-चीन के बीच बनी सहमति और LAC एग्रीमेंट का नतीजा है, जिसका ऐलान 21 अक्टूबर को विदेश सचिव विक्रम मिश्री द्वारा किया गया था. जिसकी विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी पुष्टि की थी.
22 अक्टूबर को हुई महत्वपूर्ण बैठक
इसके बाद 22 अक्टूबर को स्थानीय सैन्य कमांडरों के बीच LAC एग्रीमेंट और डिसेंगेजमेंट को लेकर महत्वपूर्ण बैठक हुई. उसके बाद 23 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच पांच साल के अंतराल के बाद ब्रिक्स सम्मेलन के साइडलाइन में राष्ट्रध्यक्ष लेबल बातचीत का रास्ता साफ हो गया. उसके बाद ब्रिक्स के साइडलाइन मेंरूस के कजान शहर में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय वार्ता हुई. इस वार्ता के साथ ही देपसांग और डेमचोक में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया को अमली जामा पहनाया शुरू हो गया, जिसमें दोनों पक्षों ने अपने सैनिकों को पीछे हटाना शुरू कर दिया.
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देपसांग में बदलती स्थिति
इसके साथ ही देपसांग में चीनी सेना द्वारा बनाए गए अस्थायी शेल्टर्स को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. चीनी सैनिक अपनी गाड़ियों और शेल्टर्स को हटाकर वापस लौटते दिख रहे हैं. बता दें कि चीनी सैनिकों ने इस इलाके में गाड़ियों पर तिरपाल तानकर टेंट बना लिए थे. वहीं, भारतीय सेना ने भी अपनी तैनाती को धीरे-धीरे कम करना शुरू कर दिया है. डिसइंगेजमेंट पूरी तरह सफल होने के बाद, इस क्षेत्र में पेट्रोलिंग को फिर से शुरू किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक इसमें हफ्ते भर का समय लग सकता है.
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डेमचोक में भी शांति का रास्ता
यही नहीं इस एग्रीमेंट के बाद डेमचोक में चार्डिंग नाले के पास दोनों पक्षों की ओर से बनाए गए टेंट भी हटा लिए गए हैं. साथ ही, गुरुवार को अस्थायी ढांचों को भी तोड़ने का काम भी शुरू हो गया. यहां चीनी सैनिकों द्वारा बनाए गए पत्थरों के ढांचों को हटाया जा रहा है. सूत्रों के अनुसार, दर्जन भर टेंट और पत्थर के ढांचों को डिस्मेंटल किया जा रहा है.
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इस इलाके में चार्डिंग नाले के एक साइड भारतीय और दूसरी साइड चीनी सैनिक तैनात हैं. डेमचोक में पश्चिम साइड भारतीय हिस्से में चीनी सैनिकों ने टेंट बना लिए थे, जिसे अब हटाया जा रहा है. बता दें कि इस क्षेत्र से दोनों देशों की सेनाएं अपनी तैनाती को कम करते हुए पीछे लौट रही हैं, जिससे हालात सामान्य होने की उम्मीद है. भारत और चीन के बीच चल रही यह डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे सीमा पर स्थिरता आने की संभावना है.