PM Modi Brunei Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को ब्रुनेई दौरे पर पहुंचे. आज पीएम मोदी ब्रुनेई का दौरा पूरा कर सिंगापुर पहुंचेंगे. पीएम मोदी ऐसे वक्त में ब्रुनेई के दौरे पर पहुंचे हैं जब दोनों देश अपने राजनयिक संबंधों के 40 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस ऐतिहासिक यात्रा ने भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' को और सशक्त किया है. यह भारत के किसी प्रधानमंत्री की ब्रुनेई की पहली द्विपक्षीय यात्रा थी, जो इस नीति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.
भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' की दसवीं वर्षगांठ
बता दें कि भारत के लिए ये साल काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि इस साल भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' की 10वीं वर्षगांठ है. इस विशेष वर्ष में, नई सरकार के पहले 100 दिनों में वियतनाम और मलेशिया के प्रधानमंत्री भारत के दौरे पर पहुंचे. इसी के साथ भारत और वियतनाम के बीच संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के रूप में वर्णित किया गया है, जबकि मलेशिया के प्रधानमंत्री की हालिया भारत यात्रा के दौरान मलेशिया के साथ संबंधों को भी व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया गया है.
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आज सिंगापुर पहुंचेंगे प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ब्रुनेई की यात्रा पूरी कर सिंगापुर पहुंचेंगे. पीएम मोदी की सिंगापुर यात्रा भी 'एक्ट ईस्ट नीति' के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को और मजबूती प्रदान करती है. भारत की 'एक्स ईस्ट नीति' का इससे भी पता चलता है कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिनों में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने फिजी और तिमोर-लेस्ते का दौरा किया.
भारत के आर्थिक विकास को मिला योगदान
बता दें कि भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' से भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान मिला है. इस नीति के तहत निवेश प्रवाह को आकर्षित करने और व्यापार का विस्तार करने में उल्लेखनीय सफलता मिली है. पिछले 10 सालों में ASEAN देशों के साथ भारत का व्यापार 2015-16 के 65 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में लगभग 120 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया.
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यही नहीं इस दौरान भारत के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2016-17 में 31 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया. वहीं ASEAN क्षेत्र से भारत को लगभग 160 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश प्राप्त हुआ है. भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा दे रही है बल्कि क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत की स्थिति को भी सुदृढ़ कर रही है.