कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ चल रही भूमि आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच के बीच, मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) के अध्यक्ष के मारीगौड़ा ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. मारीगौड़ा ने शहरी विकास विभाग को भेजे अपने त्यागपत्र में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इसे अपना व्यक्तिगत निर्णय बताया.
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स्वास्थ्य कारणों का हवाला या राजनीतिक दबाव?
आपको बता दें कि मारीगौड़ा ने इस्तीफा देने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा, ''मैंने अपने स्वास्थ्य कारणों की वजह से इस्तीफा दिया है. मुझे दो बार स्ट्रोक हुआ है और इसी कारण मैंने पद से त्यागपत्र दिया. यह मेरा निजी निर्णय है और मुझ पर कोई दबाव नहीं है.'' हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा था. वहीं मारीगौड़ा, सिद्धारमैया के करीबी सहयोगी माने जाते हैं और कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्हें MUDA का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. हालांकि, भूमि आवंटन में अनियमितताओं को लेकर उनके खिलाफ उठे विवाद के चलते कई कांग्रेस नेताओं ने उनके इस्तीफे की मांग की थी.
MUDA घोटाले में मारीगौड़ा की भूमिका पर उठे सवाल
वहीं आपको बता दें कि इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब मारीगौड़ा ने पूर्व MUDA आयुक्त जी.टी. दिनेश कुमार को एक पत्र लिखा. इस पत्र ने कथित MUDA घोटाले को उजागर किया, जिसमें कई व्यक्तियों को असली लाभार्थियों को धोखा देकर वैकल्पिक साइट्स का आवंटन किया गया था. इस घोटाले में शामिल होने के आरोप मारीगौड़ा पर भी लगे, जिससे सिद्धारमैया और मारीगौड़ा के बीच तनाव पैदा हो गया. बता दें कि MUDA घोटाले में कई सौ साइट्स के आवंटन में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं. लेकिन विशेष रूप से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बी. पार्वथी को 2021 में वैकल्पिक साइट्स का आवंटन चर्चा का केंद्र रहा है. आरोपों के अनुसार, MUDA ने बिना उचित भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के पार्वथी के तीन एकड़ 16 गुंटा भूमि का अधिग्रहण किया और उन्हें इसके बदले वैकल्पिक साइट्स आवंटित की गईं.
मारीगौड़ा का सिद्धारमैया से चार दशक पुराना नाता
इसके साथ ही आपको बता दें कि मारीगौड़ा ने इस्तीफा देने के बाद अपनी और सिद्धारमैया की चार दशक पुरानी राजनीतिक संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि वह इस पूरे प्रकरण में निर्दोष हैं. उन्होंने हाल ही में सार्वजनिक तौर पर यह दावा किया कि उनका इस विवाद से कोई लेना-देना नहीं है. हालांकि, जब से सिद्धारमैया और उनके बीच संबंधों में खटास की खबरें आईं, तब से मारीगौड़ा की भूमिका पर सवाल उठने लगे. बता दें कि मारीगौड़ा के इस्तीफे के बाद राज्य की राजनीति में नए सिरे से हलचल मच गई है. सिद्धारमैया के करीबी माने जाने वाले मारीगौड़ा के इस कदम को कांग्रेस के भीतर भी सत्ता संघर्ष और अंतर्कलह के रूप में देखा जा रहा है.
सियासी पृष्ठभूमि और आगे का रास्ता
इसके अलावा आपको बता दें कि मारीगौड़ा के इस्तीफे के बाद यह देखना अहम होगा कि कर्नाटक सरकार और कांग्रेस पार्टी इस विवाद से कैसे निपटती है. सिद्धारमैया पर लगे आरोपों की जांच जारी है और मारीगौड़ा के इस्तीफे ने इस मामले को और भी गंभीर बना दिया है. पार्टी के भीतर मारीगौड़ा के इस्तीफे को लेकर विरोधाभासी मत उभर सकते हैं, लेकिन उनके इस्तीफे के बाद MUDA घोटाले की जांच में तेजी आने की संभावना है.