राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, "हमारे संविधान में लोकतंत्र को सुदृढ़ रखने वाले चार स्तंभों के रूप में चार मूल्यों का उल्लेख है. ये हैं - न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, "हमारे संविधान में लोकतंत्र को सुदृढ़ रखने वाले चार स्तंभों के रूप में चार मूल्यों का उल्लेख है. ये हैं - न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता.

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Mohit Sharma
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President Draupadi Murmu

President Draupadi Murmu Photograph: (ANI)

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी को मैं हार्दिक बधाई देती हूं. हम सभी के लिए यह गर्व की बात है कि स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस सभी भारतीय उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं. यह दिवस हमें भारतीय होने के गौरव का विशेष स्मरण करवाता है. 15 अगस्त की तारीख, हमारी सामूहिक स्मृति में गहराई से अंकित है. औपनिवेशिक शासन की लंबी अवधि के दौरान अनेक पीढ़ियों ने ये सपना देखा था कि एक दिन देश स्वाधीन होगा. देश के हर हिस्से में रहने वाले पुरुष और महिलाएं, बूढ़े और जवान विदेशी शासन की बेड़ियों को तोड़ फेंकने के लिए व्याकुल थे... कल जब हम अपने तिरंगे को सलामी दे रहे होंगे तो हम उन सभी स्वाधीनता सेनानियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे जिनके बलिदान के बल पर 78 साल पहले 15 अगस्त के दिन भारत ने स्वाधीनता हासिल की थी.

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भाग्य को आकार देने का अधिकार खुद को दिया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि अपनी आज़ादी वापस पाने के बाद, हम ऐसे लोकतंत्र के रास्ते पर आगे बढ़े जहां हर वयस्क को मताधिकार प्राप्त हुआ. दूसरे शब्दों में, हम भारत के लोगों ने, अपने भाग्य को आकार देने का अधिकार खुद को दिया. चुनौतियों के बावजूद, भारत के लोगों ने लोकतंत्र को सफलतापूर्वक अपनाया. हमारे लिए, हमारा संविधान और हमारा लोकतंत्र सबसे ऊपर है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि अतीत पर दृष्टिपात करते हुए हमें देश के विभाजन से हुए पीड़ा को नहीं भूलना चाहिए, आज हमने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया. विभाजन के कारण भयावह हिंसा देखी गई और लाखों लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर किया गया, हम इतिहास के शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.

चार स्तंभों के रूप में चार मूल्यों का उल्लेख

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमारे संविधान में लोकतंत्र को सुदृढ़ रखने वाले चार स्तंभों के रूप में चार मूल्यों का उल्लेख है. ये हैं - न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता. ये हमारे सभ्यतागत सिद्धांत हैं जिन्हें हमने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पुनः जीवंत बनाया. मेरा मानना है कि इन सबके मूल में मानवीय गरिमा की भावना है. प्रत्येक मनुष्य समान है और सभी के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए. सभी की स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा तक समान पहुंच होनी चाहिए. सभी को समान अवसर मिलने चाहिए. पारंपरिक व्यवस्था के कारण जो लोग वंचित थे, उन्हें सहायता की आवश्यकता थी. इन सिद्धांतों को सर्वोपरि रखते हुए, हमने 1947 में एक नई यात्रा शुरू की. विदेशी शासन के लंबे वर्षों के बाद, स्वतंत्रता के समय भारत घोर गरीबी में था. लेकिन तब से अब तक के 78 वर्षों में, हमने सभी क्षेत्रों में असाधारण प्रगति की है. भारत एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की राह पर अग्रसर है और पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है.

भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में, हमारी उपलब्धियां स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं. पिछले वित्त वर्ष में 6.5% की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर के साथ, भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है... मुद्रास्फीति पर नियंत्रण बना हुआ है. निर्यात बढ़ रहा है. सभी प्रमुख संकेतक हमारी अर्थव्यवस्था की मज़बूत स्थिति को दर्शा रहे हैं... सुशासन के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है... आय असमानता कम हो रही है. क्षेत्रीय असमानताएं भी कम हो रही हैं. राज्य और क्षेत्र, जो पहले कमज़ोर आर्थिक प्रदर्शन के लिए जाने जाते थे, वे अब अपनी वास्तविक क्षमता दिखा रहे हैं और अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के साथ कदमताल मिला रहे हैं.

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