संसद में आज रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का अलग ही अंदाज देखने को मिला. शांत और सौम्य व्यक्तित्व वाले केंद्रीय रेल मंत्री आज संसद में झल्लाते दिखे. उन्होंने संसद में आज विपक्ष पर खूब निशाना साधा. उन्होंने संसद में विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि हम केवल रील बनाने वाले नहीं है. हम काम करने वाले लोग हैैं. संसद में विपक्ष के हंगामे पर रेल मंत्री ने नाराजगी जताई और कहा- जो लोग यहां चिल्ला रहे हैं, उन्होंने अपने 58 साल के शासन काल में एक किलोमीटर भी ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) क्यों नहीं लगाई, आज उनसे यह सवाल पूछा जाना चाहिए.
#WATCH लोकसभा में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "हम वो लोग नहीं हैं जो रील बनाते हैं, हम कड़ी मेहनत करते हैं, आप की तरह रील बनाकर दिखाने वाले लोग नहीं है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 1, 2024
रेल मंत्री ने कहा, "लोको पायलटों के औसत कामकाज और आराम का समय 2005 में बनाए गए एक नियम से तय होता है। 2016 में… pic.twitter.com/aHvPTzNTm0
सदन में ताली बजाने वाले, दोषारोपण कर रहे हैं
संसद में आज रेल मंत्री विपक्षी नेताओं पर नाराज दिखे. उन्होंने भड़कते हुए विपक्षी नेताओं से कहा कि चुप होकर बैठ जाएं. कुछ भी बोलते हैं आप लोग. यह क्या तरीका है. आप बीच में कुछ भी बोल देते हैं. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष को संबोधित करते हुए कहा कि, आज सदन में यह सवाल कर रहे हैं. जब ममता बनर्जी रेल मंत्री थीं तब हादसों का आंकड़ा 0.24 से घटकर 0.19 प्रतिशत हो गया था तो यह लोग सदन में तालियां बजा रहे थे और आज अब यही आंकड़ा 0.19 से घटकर 0.03 हो गया तो यह इस तरह से दोषारोपण कर रहे हैं.
बताइये कैसे चलेगा देश
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से वैष्णव ने पूछा कि क्या ऐसे ही यह देश चलेगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सोशल मीडिया की ट्रोल आर्मी सिर्फ फेक न्यूज फैलाती है. अयोध्या के पुराने रेलवे स्टेशन के पीछे की एक दीवार गिरी तो सपा और कांग्रेस के हैंडलों ने तुरंत फेक न्यूज फैलाना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि देश झूठ से कैसे चलेगा. रोजाना दो करोड़ लोग यात्रा करते हैं. उनके मन में भय पैदा करना सही है क्या.
रेल हादसों को बचाने के लिए रेलवे ने किए यह उपाय
रेल मंत्री ने बताया कि हादसों को रोकने के लिए पूरे देश में मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग की गई है. पूरे स्टेशन का कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की मदद से होता है. दुनिया भर के देशों में यह काम 1980-90 के दशक में ही होता था पर भारत में यह नहीं हो सका. हमारे यहां धीरे-धीरे काम होता था. 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद हमने 2015 में एटीपी डेवलप करने का संकल्प किया. हमने 2016 में कवच का ट्रायल्स शुरू किया. कोरोना के बाद भी 2020-21 में हमने एक्सटेंडेट ट्रायल्स किए. हमने तीन मैन्युफैक्चरर्स की पहचान की और 2023 में तीन हजार किलोमीटर का प्रोजेक्ट रोलआउट हुआ. रेलवे ने आठ हजार से अधिक इंजीनियर्स को ट्रेनिंग दी है.
सदन में रेल मंत्री ने बताया कि 9 हजार किमी के टेंडर प्रॉसेस में हैं. कुछ हा माह में पांच हजार लोकोमोटिव्स पर यह लगाए जाने लगा. 70 हजार किमी का हमारा रेल नेटवर्क है. हमसे आधे रेल नटवर्क वाले देशों ने एटीपी लागू करने में 20 साल लगा दिए. मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हम कवच की इंस्टॉलिंग में कोई भी कसर नहीं छोड़ने वाले हैं.