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रूस-भारत व्यापार सहयोग होगा और मजबूत, उप-प्रधानमंत्री डेनिस मांतुरोव और एस जयशंकर की अहम बैठक

भारत और रूस के संबंध काफी मधुर रहे हैं. ऐसे में अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भी भारत रूस के साथ व्यापारिक संबंधों को लगातार मजबूत कर रहा है. इसे लेकर सोमवार को रूस के उप-प्रधानमंत्री डेनिस मांतुरोव और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बैठक की.

Suhel Khan और Madhurendra Kumar
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Russia India meeting

भारत-रूस के व्यापारिक प्रतिनिधियों की बैठक

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अमेरिकी प्रतिबंधों को धत्ता बताते हुए रूस और भारत ने अपने आर्थिक और सामरिक सहयोग को और बेहतर बनाने का फैसला किया है. रूस के पहले उप-प्रधानमंत्री डेनिस मांतुरोव और भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने सोमवार को व्यापारिक प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. यह बैठक अंतर-सरकारी रूस-भारत आयोग के 25वें सत्र से पहले आयोजित एक मंच का हिस्सा थी, जिसका उद्देश्य व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना है.

बता दें कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद, रूस-भारत व्यापार संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं, साथ ही दोनों देश भविष्य में और अधिक सहयोग करने के लिए तैयार हैं. मांतुरोव ने कहा, 'इसका एक स्पष्ट संकेत पिछले वर्ष के व्यापारिक कारोबार का रिकॉर्ड है. इस वर्ष भी इस उपलब्धि को पार करने के सभी पूर्वापेक्षाएं मौजूद हैं. लेकिन मात्रात्मक वृद्धि के साथ, व्यापार के ढांचे में विविधता लाना भी जरूरी है. इसके लिए हमें केवल वस्त्र प्रवाह को संतुलित करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उच्च-तकनीकी उत्पादों का हिस्सा भी बढ़ाना है.'

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रूसी उप-प्रधानमंत्री मांतुरोव ने आगे कहा कि, 'रूस का 'टेक्नोलॉजिकल सोवरेनिटी' और भारत का 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम दोनों देश के औद्योगिक और नवाचार वृद्धि को बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. दोनों कार्यक्रम उत्पादन में तेजी, इनोवेशन के विकास और बुनियादी ढांचे की बाधाओं को दूर करने का कार्य कर रहे हैं.

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रूस की प्राथमिक तकनीकी विकास क्षेत्र

इस दौरान उप-प्रधानमंत्री मांतुरोव ने रूस के कुछ प्राथमिक तकनीकी विकास क्षेत्रों पर भी प्रकाश डाला. इसके साथ ही परिवहन उद्योग का विकास, जिसमें बिना ड्राइवर लैस गाड़ियों का उपयोग और वाहनों को वैकल्पिक ईंधनों में बदलना शामिल है. यही नहीं परमाणु क्षेत्र में क्षमता वृद्धि, उच्च शक्ति टर्बाइन का उत्पादन, सौर और पवन ऊर्जा के लिए उपकरण, और एलएनजी प्रौद्योगिकियों में सुधार. स्वास्थ्य सेवा में उन्नत चिकित्सा उपकरण और दवाओं की उपलब्धता, परमाणु चिकित्सा में नेतृत्व, वैक्सीन उत्पादन, और सेल इंजीनियरिंग का विकास.

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कृषि उत्पादकता में वृद्धि, जिसमें जैव प्रौद्योगिकी, प्रिसिजन फार्मिंग, सिंचाई और पुनःस्थापन तकनीकें शामिल हैं. उच्च-तकनीकी उत्पादन साधनों में दक्षता वृद्धि और संकुल-चक्र अर्थव्यवस्था, साथ ही अंतरिक्ष सेवाओं में भी विकास. बैठक में स्पष्ट किया गया कि दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से, बल्कि तकनीकी और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी मजबूती की दिशा में बढ़ रहे हैं.

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