आध्यात्मिक गुरू सद्गुरू जग्गी वासुदेव को बड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगा दी है. मामले में अब 18 अक्टूबर को सुनवाई होगी.
यह है पूरा मामला
दरअसल, एक रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने ईसा फाउंडेशन के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में शिकायतकर्ता ने कहा था कि आश्रम में उनकी बेटियों गीता (42) और लता (39) का ब्रेनवॉश कर दिया गया है और उन्हें बंधक बनाकर रख लिया गया है. हालांकि, इस पर ईशा फाउंडेशन ने कहा कि दोनों बहने आश्राम में अपने मर्जी से रह रही हैं.
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हाईकोर्ट ने दिया यह आदेश
मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को कहा कि तमिलनाडु पुलिस ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी अपराधों की जांच करे और रिपोर्ट दर्ज करें. हाईकोर्ट के फैसले के बाद, एक अक्टूबर को करीब 150 पुलिसकर्मी मामले की जांच करने आश्रम गए थे.
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अदालत ने आश्रम में पुलिस के घुसने पर जताई आपत्ति
इसी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने तीन अक्टूबर को मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान अदालत ने आश्रम में पुलिस की मौजूदगी पर सवाल खड़े किए. अदालत ने कहा कि आप इस तरह पुलिस की टुकड़ी लेकर आश्रम में नहीं जा सकते. एक न्यायिक अधिकारी जाएंगे और दोनों लड़कियों से पूछताछ करेंगे.
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एक बहन अदालत में मौजूद, पिता पर लगाए आरोप
खास बात है कि सुनवाई के दौरान, दोनों बहनों में से एक बहन सुनवाई के दौरान वर्चुअली अदालत में मौजूद थी. उसने अदालत में कहा कि वे अपनी मर्जी से आश्रम में हैं. उसने अपने पिता पर ही आरोप लगाए. उसने कहा कि उनके पिता ही पिछले आठ वर्षों से उन्हें तंग कर रहे हैं.