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भारतीय नौसेना को दूसरा सर्वेक्षण पोत 'निर्देशक' सौंपा गया, समंदर में बढ़ेगी भारत की ताकत

'निर्देशक' पोत का उद्देश्य तटीय और गहरे जल में पूर्ण पैमाने पर हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण, बंदरगाह और हार्बर के पास के मार्गों का सर्वेक्षण और नेविगेशन चैनलों का निर्धारण करना है.

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Mohit Sharma
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Indian Navy News
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(रिपोर्ट- मधुरेंद्र कुमार)

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा निर्मित और भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा निर्देशित दूसरा सर्वेक्षण पोत 'निर्देशक' (यार्ड 3026) 08 अक्टूबर 2024 को भारतीय नौसेना को सौंपा गया. इस श्रेणी के पहले पोत INS 'संधायक' को 03 फरवरी 2024 को कमीशन किया गया था. चार सर्वेक्षण पोतों के निर्माण का अनुबंध 30 अक्टूबर 2018 को हस्ताक्षरित किया गया था. सर्वेक्षण पोत (SVL) को भारतीय रजिस्टर ऑफ शिपिंग के मानकों के अनुसार डिजाइन और निर्मित किया गया है. इसका निर्माण एम/एस गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोलकाता द्वारा किया गया है. 

क्या है इस पोत की ताकत और तकनीक?

इस पोत का उद्देश्य तटीय और गहरे जल में पूर्ण पैमाने पर हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण, बंदरगाह और हार्बर के पास के मार्गों का सर्वेक्षण और नेविगेशन चैनलों का निर्धारण करना है. इसके साथ ही यह पोत रक्षा और नागरिक अनुप्रयोगों के लिए महासागरीय और भू-भौतिकीय डेटा भी एकत्र करेगा. करीब 3,400 टन के विस्थापन और 110 मीटर की लंबाई वाला यह पोत अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से सुसज्जित है, जिसमें डेटा अधिग्रहण और प्रोसेसिंग सिस्टम, स्वायत्त जलमग्न वाहन, रिमोट से संचालित वाहन, डीजीपीएस लॉन्ग रेंज पोजिशनिंग सिस्टम, डिजिटल साइड स्कैन सोनार आदि शामिल हैं. यह पोत दो डीजल इंजनों द्वारा संचालित होता है और 18 नॉट्स से अधिक की गति प्राप्त कर सकता है.

मेक इन इंडिया का नया शाहकार है निर्देशक

'निर्देशक' का शिलान्यास 01 दिसंबर 2020 को हुआ था और इसे 26 मई 2022 को लॉन्च किया गया था. पोत को सौंपने से पहले इसे हार्बर और समुद्र में व्यापक परीक्षण प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा. 'निर्देशक' में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो भारत सरकार और भारतीय नौसेना की 'आत्मनिर्भर भारत' पहल की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है. इस पोत का सौंपा जाना भारतीय उद्योग, MSMEs और अनेक हितधारकों के सहयोगात्मक प्रयासों का परिणाम है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री शक्ति को और मजबूत करने का प्रतीक है.

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