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इसरो के स्पैडेक्स की आज लॉन्चिंग Photograph: (X@ISRO)
SpaDeX Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)आज फिर अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और इतिहास रचने जा रहा है. दरअसल, इसरो आज शाम (सोमवार) 9:58 बजे स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (SpaDeX) को लॉन्च करेगा. इस मिशन की लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से की जाएगी. इस मिशन को पीएसएलवी-सी60 से लॉन्च किया जाएगा.
इस मिशन की सफलता के साथ ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जिनके पास अभी बाहरी अंतरिक्ष में दो अंतरिक्ष यान या उपग्रहों को डॉक यानी जोड़ने और अनडॉक यानी अलग की क्षमता है. इन देशों अभी सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन को ही विशेषज्ञता हासिल है. इसरो का ये मिशन इस साल का आखिरी मिशन है. इस मिशन की कामयाबी भारतीय अंतरिक्ष केंद्र और मानव अंतरिक्ष उड़ानों के लिए काफी अहम साबित होगी.
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📅 T-1 Day to Liftoff!
— ISRO (@isro) December 29, 2024
🚀 PSLV-C60 is ready to launch SpaDeX and 24 innovative payloads into orbit.
🕘 Liftoff: 30 Dec, 9:58 PM (21:58 hours)
🎥 Watch live: https://t.co/D1T5YDD2OT
(from 21:30 hours)
📖 More info: https://t.co/jQEnGi3W2d#ISRO#SpaDeX 🚀
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क्यों है इस मिशन की जरूरत
जानकारी के मुताबिक, स्पैडेक्स मिशन पीएसएलवी द्वारा लॉन्च दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग कर स्पेस में डॉकिंग के प्रदर्शन के लिए लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है. बता दें कि अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रौद्योगिकी की तब आवश्यकता होती है जब किन्हीं साझा मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपित करने की जरूरत होती है.
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ऐसे पूरी की जाएगी डॉकिंग प्रक्रिया
बताया जा रहा है कि वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित होने के बाद दोनों अंतरिक्ष यान को 24 घंटे में करीब 20 किमी दूर हो जाएंगे. इसके बाद डॉकिंग और अनडॉकिंग प्रक्रिया शुरू की जाएगी. ऑनबोर्ड प्रोपल्शन का उपयोग कर लक्ष्य को धीरे-धीरे 10-20 किमी का इंटर सैटेलाइट सेपरेशन बनाएगा. जिसे किसी दूर के मिलन चरण के रूप में जाना जाता है. उसके बाद चेजर टारगेट के पास पहुंचेगा और ये दूरी धीरे-धीरे 5 किमी फिर 1.5 किमी और उसके बाद 500 मीटर हो जाएगी.
इसके बाद ये घटकर 225 मीटर, 15 मीटर और 3 मीटर कम हो जाएगी, जहां डॉकिंग प्रक्रिया पूरी होगी. एक बार डॉक प्रक्रिया पूरी हो जाएगी उसके बाद मिशन पेलोड संचालन के लिए अनडॉक करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. हालांकि इससे पहले अंतरिक्ष यान के बीच पावर ट्रांसफर का प्रदर्शन किया जाएगा.
जानें क्या हैं इस मिशन के फायदे
इस मिशन की सफलता से भारत के खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने के साथ-साथ चंद्रयान-4 जैसे मानव अंतरिक्ष उड़ानों के लिए काफी अहम है. जो सैटेलाइट की मरम्मत, ईंधन भरने, मलबे को हटाने के अलावा अन्य प्रयोगों के लिए बुनियादी ढांचे का काम करेगा.