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ASNA Cyclone: गुजरात के पास अरब सागर में बने चक्रवात से वैज्ञानिक परेशान, जानें 48 साल बाद आए साइक्लोन से क्यों हैरत में साइंटिस्ट

गुजरात के पास अरब सागर में आए तूफान ने वैज्ञानिकों को परेशान कर दिया है. क्योंकि यह समय तूफान का समय नहीं है. बावजूद इसके तूफान बना है. अब बड़ा सवाल है कि ऐसा क्यों हुआ क्या कहीं ग्लोबल वार्मिंग तो कारण नहीं, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

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Jalaj Kumar Mishra
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Cyclone ASNA

Cyclone ASNA

48 साल बाद अरब सागर में गुजरात के पास बने एक सिस्टम ने वैज्ञानिकों को परेशान कर दिया है. आम तौर पर देखा जाता है कि समुद्र में पहले तूफान बनता है, जिसके बाद जमीन पर वह बरसता है. लेकिन गुजरात में उलटा हो रहा है क्योंकि, पहले यहां जमीन के ऊपर लो-प्रेशर सिस्टम की वजह से बरसात हुई. इसके बाद डीप डिप्रेशन दिखा. अब यही मौसम अरब सागर में साइक्लोन बना रहा है. इस साइक्लोन का नाम हैै- असना (Asna).  

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तूफान का मौसम नहीं, फिर भी बन रहा तूफान

1976 के बाद पहली बार आकाश में ऐसी हलचल मची है. यहां जमीन के एक बड़े हिस्से को पार करके एक तूफान समुद्र में चक्रवाती तूफान (Cyclone) बन रहा है. सबसे अधिक हैरान करता है- तूफान का समय. आमतौर पर देखा जाए तो मानसून के सीजन में अरब सागर का तापमान 26 डिग्री के नीचे होता है. वहीं, जब तापमान 26.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाए तब साइक्लोन बनता है. चूंकि, जुलाई से सितंबर तक समुद्र का तापमान कम रहता है, जिससे इस इलाके में साइक्लोन बनने की संभावना बहुत कम होती है. मानसून के वक्त अरब सागर का पश्चिमी हिस्सा ठंडा होता है. इसके साथ ही अरब प्रायद्वीप से शुष्क हवाएं चलती हैं, जिससे साइक्लोन नहीं बनता है.  

किधर है असना तूफान

वर्तमान में अरब सागर में बन रहा तूफान गुजरात के नलिया से 170 किलोमीटर पश्चिम की ओर है. पाकिस्तान के कराची से 160 किलोमीटर दक्षिण की ओर है और वहीं, पसनी से 430 किलोमीटर दूर है. 

क्या ग्लोबल वार्मिंग से हो रहा है ऐसा

साइक्लोन मई और नवंबर में अधिक देखने को मिलते हैं. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने भी इस पर हैरानी जताई है. उन्होंने एक्स पर लिखा कि उत्तरी अरब सागर के ऊपर बने सिस्टम को देखकर हैरत में हूं. हमने हमेशा यही देखा है कि उत्तरी अरब साहर इस वक्त ठंडा रहता है. अगर उस क्षेत्र में साइक्लोन बन रहा है तो साफ है कि वह क्षेत्र अभी गर्म है. यह ग्लोबल वार्मिंग का नतीजा है.  

उन्होंने आगे कहा कि तूफान की वजह से सवाल है कि क्या असल में यह ग्लोबल वार्मिंग के कारण हो रहा है. भारतीय वैज्ञानिकों के साथ-साथ दुनियाभर के वैज्ञानिकों को इसकी जांच करनी चाहिए. जिससे भविष्य में ऐसे सिस्टम के बारे में भी भविष्यवाणि की जा सके. 

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