Advertisment

राजेंद्र नगर हादसे पर स्टूडेंट्स ने खोला समस्याओं का पिटारा, सुनकर रह जाएंगे हैरान

दिल्ली ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में बारिश के पानी से तीन छात्रों की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. इस घटना के बाद वहां के छात्रों में आक्रोश है. क्या है छात्रों की राय

author-image
Prashant Jha
New Update
rao

Rajendra Nagar accident

Advertisment

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में शनिवार को हुई भारी बारिश के बाद राव IAS कोचिंग सेंटर की बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. जिन तीनों स्टूडेंट्स की मौत हुई है वो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. तीनों की पहचान तानिया सोनी (तेलंगाना), श्रेया यादव (UP) और नेविन डालविन (केरल) के तौर पर हुई है.आइए जानते हैं ओल्ड राजेंद्र नगर में हुए हादसे पर वहां के स्टूडेंट्स क्या कहते हैं. 

Part A  स्टूडेंट्स ने खोला समस्याओं का पिटारा: (अलग-अलग छात्रों से बात की है क्योंकि उग्र छात्र चौपाल के लिए तैयार नहीं थे) 

सिर्फ एक नही, बल्कि लगभग सभी शैक्षणिक कोचिंग इंस्टिट्यूट के बेसमेंट में लाइब्रेरी बनाई गई है. जिसके गेट बायोमेट्रिक आईडी से खोलते हैं, जैसे ही बारिश होती है, बिजली चली जाती है ,उसके बाद बेसमेंट से निकलना बिना बायोमैट्रिक आईडेंटिफिकेशन के मुश्किल होता है. ऐसी स्थिति में हादसे और मौत की संभावना बढ़ जाती है.

उत्तर प्रदेश और राजस्थान के छात्र-छात्राओं ने कहा कि सुबह से उनके मां-बाप का परिजनों का फोन आ रहा है. वह सभी डरे हुए हैं कि ओल्ड राजेंद्र नगर के न सिर्फ इंस्टिट्यूट बल्कि पीजी और हॉस्टल की हालत भी ऐसी है. जहां इस कदर अवैध निर्माण है कि कभी भी दूसरा या दोबारा हादसा हो सकता है.

Part B - बुजुर्ग निवासियों ने सुनाई ओल्ड राजेंद्र नगर की दास्तान: 

न्यूज़ नेशन ने ओल्ड राजेंद्र नगर में रहने वाले वरिष्ठ स्थानीय निवासियों और बुजुर्गों से बात की जिन्होंने बताया कि भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के नाम पर 50 के दशक में इस कॉलोनी को रिफ्यूजी यानी विभाजन के वक्त पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थियों के लिए विकसित किया गया था. उसे वक्त ना कोई जल भराव होता था, ना ही किसी तरह की कोई और समस्या थी, लेकिन जब से मेट्रो बनी है बीते 20-25 सालों में कोचिंग इंस्टिट्यूट खुलने लगे बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं यहां पहुंचे पापुलेशन यानी जनसंख्या का घनत्व बढ़ने लगा तब से ही जल भराव और अन्य समस्याएं पैदा हुई है.

स्थानीय महिलाओं का भी कहना है कि अवैध निर्माण बेतहाशा हॉस्टल का खुलना इंस्टिट्यूट के बनने के बाद यहां कानून व्यवस्था की हालत भी खराब है. हमेशा पानी भरता है ,बिजली का संकट रहता है, परिवार वालों के साथ बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है. इसके पीछे राजनीतिक दलों, जनप्रतिनिधियों ,शासन प्रशासन, पुलिस और एमसीडी की मिली भगत बताई गई है.

Part C - भारत के पहले राष्ट्रपति के नाम पर बनी पोश कॉलोनी की हकीकत ‌अवैध निर्माण, तारों का जाल, टूटी हुई सिवर लाइन, कभी भी हो सकता है हादसा:

पहली नजर में इस इलाके को देखकर लगता है कि कोई पुराने दिल्ली का होलसेल बाजार का इलाका होगा, लेकिन यह राजेंद्र नगर है जो कथित तौर पर पॉश कॉलोनी के रूप में विकसित किया गया था. यहां अवैध निर्माण और बिजली के तारों का इतना बड़ा जाल है कि आसमान देखना मुश्किल हो जाता है. ऐसी स्थिति में शॉर्ट सर्किट से कभी भी आग लगने का खतरा हो सकता है.

बड़े-बड़े इंस्टीट्यूट का में गेट तो शीशे की तरह चमकता हुआ नजर आता है, लेकिन उसके पीछे छात्र-छात्राओं के निकलने के लिए इस तरह की की लोहे की हवा में झूलने वाली सीढ़ियां हैं. इन जीनों के जरिए अगर बड़ी संख्या में बच्चे बाहर निकलना चाहे, भूकंप से लेकर अगर कोई और आपदा हो तो निकलना बेहद मुश्किल है. यहां तक की भगदड़ से भी कोई हादसा हो सकता है.

आसमान और मकान की नहीं बल्कि जमीन और सड़क की हालत भी बहुत खराब है. यहां रोड पर बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं, सिविल लाइन कई जगह से टूटी हुई है. पीने की पानी की पाइपलाइन भी सड़क के गड्डों से बाहर निकल आई है, यानी जल भराव से लेकर सड़क हादसा तक कभी भी ओल्ड राजेंद्र नगर में हो सकता है.

Part D - प्रॉपर्टी डीलर ने सुनाई ओल्ड राजेंद्र नगर अनकही हकीकत

न्यूज़ नेशन को अपनी ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान एक ऐसे प्रॉपर्टी डीलर भी मिले जिन्होंने अपना चेहरा नहीं दिखाई जाने की शर्त पर बताया कि राजेंद्र नगर के अंदर दूसरे राज्यों से आईएएस बनने का सपना लेकर आए बच्चों को किस तरीके से लूटा जाता है. सिर्फ एक सिंगल बेड वाले कमरे के लिए ₹10,000 लिए जाते हैं. उसी के अंदर ही शौचालय का भी बहुत दंगा प्रबंध होता है. लगभग आधे मकान में बिना नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट बेसमेंट बनाए गए हैं.

छात्रों के रहने के लिए जो हॉस्टल बनाए हैं वहां भी कमरों को छोटा आकार देने के लिए लकड़ी का पार्टीशन है, जहां कभी भी शॉर्ट सर्किट या आग लगने की घटना हो सकती है.

Part E - 1978 नाला, 2001 मेट्रो निर्माण, कैसे बना हादसे का कारण

शनिवार देर रात हुए हादसे के पीछे के दो कारण ऐसे भी है, जो पहली नजर में दिखाई नहीं देती. उनमें से एक है 50 साल पुराना यह नाला, यह नाला पहले खुला हुआ करता था ,आराम से सफाई हो जाती थी ,लेकिन अभी से कवर कर दिया गया है. जिसकी वजह से सफाई होनी मुश्किल होती है, मानसून से पहले इस नाले की सफाई नहीं हुई. इसी वजह से ओल्ड राजेंद्र नगर में जल भराव की समस्या भयंकर हो चुकी है.

स्थानीय लोगों ने 25 साल पहले बनी मेट्रो की ब्लू लाइन को भी इस हादसे के पीछे जिम्मेट ठहराया. दरअसल मेट्रो लाइन बनने के लिए पूसा रोड को थोड़ा ऊंचा कर दिया गया, जिसकी वजह से जहां यह इंस्टिट्यूट है वहां का पानी इस नाले तक नहीं पहुंच पा रहा था. जो मेट्रो निर्माण से पहले ढलान की वजह से पहुंच जाता था. इस वजह से भी ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में 3 फुट गहरा जल भराव देखने को मिलता है.

Part F - यह था राजेंद्र नगर की कोठियों का असली मास्टर प्लान, अब बदल चुकी है इलाके की तस्वीर

हमने लगातार अपने ग्राउंड रिपोर्ट में बताया कि राजेंद्र नगर का निर्माण दिल्ली की एक व्यवस्थित पॉश कालोनी के रूप में हुआ था, हालांकि अब यहां सैकड़ो की संख्या में खुले इंस्टीट्यूट की वजह से पैर रखने की भी जगह नहीं है. अब हम आपको दिखाते हैं राजेंद्र नगर में बनी एक पुरानी कोठी जिस बंगलो का निर्माण पूरी तरह से मास्टर प्लान के तहत हुआ था.

राजेंद्र नगर में इसी तरह की कोठियां को बनाया जाना था, जिसमें सिर्फ मूल मास्टर प्लान के हिसाब से दो मंजिल निर्माण की इजाजत थी. लगभग 40% हिस्से को खाली रखा गया था, जिसमें से 20% हिस्से में पार्किंग और 20% हिस्से में गार्डन की व्यवस्था थी. यानी इस बंगले के अंदर अगर 20 गाड़ियां भी एक साथ खड़ी करनी हो तो कोई समस्या नहीं होगी. बारिश के पानी को सोखने के लिए एक छोटे पार्क की व्यवस्था भी बंगले के अंदर ही की गई है, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है. इंस्टीट्यूट ने पूरे इलाके को कवर कर लिया है, गाड़ियां अब सड़क पर पार्क की जाती है. फुटपाथ को भी घेरा जा चुका है. यही वजह है कि जल भराव से लेकर ट्रैफिक जाम की समस्या आए दिन देखने को मिलती है.

delhi Delhi hadsa news Coaching Centre
Advertisment
Advertisment