(रिपोर्ट: सुशील पांडे)
Supreme Court News: अनुसूचित जाति (SC) कोटा के अंदर कोटा का फैसला जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया है. सर्वोच्च अदालत ने फैसले के खिलाफ दायर की गई पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाओं में कोई ठोस आधार नहीं दिया गया कि आखिर क्यों 1 अगस्त के फैसले पर कोर्ट को पुनर्विचार करना चाहिए. पुराने फैसले में ऐसी कोई खामी नहीं है, जिस पर फिर से विचार किया जाए.
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सुप्रीम कोर्ट का क्या था फैसला?
एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST रिजर्वेशन को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसके अनुसार एससी-एसटी कोटा में कोटा को मंजूरी दी गई थी. कोर्ट ने कहा था कि राज्य SC/ST में सब-कैटेगरी बना सकते हैं. ऐसा किए जाने के पीछे कोर्ट ने तर्क दिया था कि इससे जरूरतमंद जातियों को रिजर्वेशन का अधिक फायदा मिलेगा. शीर्ष अदालत ने अपने इस फैसले के जरिए SC/ST के आरक्षण में से क्रीमीलेयर को चिह्नित कर बाहर किए जाने की जरूरत पर बल दिया था.
6:1 के बहुमत पारित हुआ था फैसला
सीजेआई डी वाई चंदचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 जजों की कंस्टीटूशन बेंच ने ये फैसला सुनाया था. बेंच में जस्टिस बीआर गवई, विक्रम नाथ, बेला एम त्रिवेदी, पंकज मिथल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे. सर्वोच्च कोर्ट ने 6:1 के बहुमत से कहा कि एससी/एसटी के कोटे में कोटा स्वीकार्य है. उसमें सब कैटेगरी बनाई जा सकती हैं. हालांकि, जस्टिस बेला त्रिवेदी ने असहमति जताई और फैसला सुनाया कि इस तरह का सब-क्लासिफिकेशन स्वीकार्य नहीं है.
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फैसले को लेकर हुआ था आंदोलन
फैसले के जरिए सुप्रीम कोर्ट ने ईवी चिनैया (2004) मामले के फैसले को पलट दिया था. ईवी चिनैया फैसले में पांच जजों ने कहा था कि एससी, एसटी एक समान समूह वर्ग हैं और इनका उपवर्गीकरण नहीं हो सकता. कोर्ट के इस फैसले को लेकर SC/ST समुदाय के एक वर्ग ने अपना विरोध जताया था. उन लोगों ने देशभर में ‘भारत बंद’ का आवाहन भी किया था. कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर की गई थीं. जिन पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर विचार करने से इनकार कर दिया है.
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अब सुप्रीम कोर्ट ने क्या है कहा?
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली 7 जजों की बेंच ने कहा कि उस फैसले में ऐसी कोई त्रुटि नहीं थी, जिस पर पुनर्विचार किया जाए. कोर्ट ने कहा, 'हमने पुनर्विचार याचिकाओं को देखा है. ऐसा लगता है कि पुराने फैसले में ऐसी कोई खामी नहीं है, जिस पर फिर से विचार किया जाए. इसलिए पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज किया जाता है.' बता दें कि पुनर्विचार याचिकाओं को संविधान बचाओ ट्रस्ट, आंबेडकर ग्लोबल मिशन, ऑल इंडिया एससी-एसटी रेलवे एम्प्लॉयी एसोसिएशन समेत कई संस्थाओं की ओर से दायर किया गया था.
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