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सुप्रीम कोर्ट Photograph: (Social Media)
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में बड़ी ही अहम टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने कहा कि शादी से मना करना सुसाइड के लिए उकसाना नहीं हैं. सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट किया कि शादी के लिए मना करना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने के बराबर नहीं है. जस्टिस बी वी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह अहम टिप्पणी की है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
3 जुलाई 2008 का है मामला
एक रिपोर्ट के अनुसार, यह पूरा मामला 3 जुलाई 2008 का है. सौमा नाम की एक युवती रेलवे ट्रैक पर मृत पाई गई थी. मृतका के परिवार ने लक्ष्मी दास (महिला) और उसके बेटे बाबू दास और दो अन्य के खिलाफ आरोप लगाया कि इनकी हरकतों की वजह से सौमा को सुसाइड के लिए मजबूर होना पड़ा. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
STORY | Disapproving marriage does not amount to abetment of suicide: SC
— Press Trust of India (@PTI_News) January 26, 2025
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SC में न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने महिला लक्ष्मी दास के खिलाफ आरोपपत्र को खारिज करते हुए अहम टिप्पणी की. शीर्ष अदालत ने कहा कि शादी के लिए अस्वीकृति व्यक्त करना आईपीसी की धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने के बराबर नहीं है. बता दें कि लक्ष्मी दास पर एक अन्य युवती को सुसाइड के लिए उकसाने का आरोप था. मृतका कथित तौर पर उसके बेटे बाबू दास से प्यार करती थी.