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Tirupati Laddu controversy: सनातन को भ्रष्ट करने की साज़िश, मंदिरों को बना रहे व्यापार का अड्डा, जानें क्या बोले आचार्य संगम

Tirupati Laddu controversy: हाल ही में तिरूपति बालाजी मंदिर में लड्डू विवाद ने सनातन धर्म की पवित्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस विवाद को और भड़काते हुए, आचार्य संगम जी ने बड़ा आरोप लगाया है कि मंदिर के पुजारी और व्यवस्था देख रहे लोग मंदिरों को व्यापार का अड्डा बना रहे हैं.

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Sunder Singh
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Tirupati Laddu controversy: हाल ही में तिरूपति बालाजी मंदिर में लड्डू विवाद ने सनातन धर्म की पवित्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस विवाद को और भड़काते हुए, आचार्य संगम जी ने बड़ा आरोप लगाया है कि मंदिर के पुजारी और व्यवस्था देख रहे लोग मंदिरों को व्यापार का अड्डा बना रहे हैं और इसके पीछे सनातन धर्म को भ्रष्ट करने की गहरी साज़िश है. आचार्य संगम जी के अनुसार, प्रसाद में मिलावट की जा रही है और इसमें बीफ़, जानवरों की चर्बी, और फ़िश ऑयल वाले घी का इस्तेमाल हो रहा है. अब ये मामला और गरमाता जा रहा है.

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क्या बोले संगम आचार्य 

आचार्य संगम  ने तिरुपति लड्डू में मिलावट और भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए कहा, "सनातन को कमजोर और भ्रष्ट करने की साज़िश चल रही है। तिरूपति बालाजी जैसे बड़े धार्मिक स्थलों पर अब व्यापार की लहर चल पड़ी है।" उन्होंने कहा कि इस पूरी साज़िश के पीछे कुछ शक्तियां हैं जो सनातन धर्म को कमज़ोर करना चाहती हैं, और इसके लिए धार्मिक स्थलों को व्यापार का केंद्र बना दिया गया है. आचार्य संगम  का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जहां लोगों ने इसे धर्म पर हमला बताते हुए . उनका कहना है कि हिंदू समाज को अब सजग होकर अपने धार्मिक स्थलों की पवित्रता और धर्म के मानकों की रक्षा करनी होगी.

क्या हिंदू समाज क्षमा करेगा

आचार्य संगम  ने इस विवाद को 1857 के विद्रोह से जोड़ा, जब कारतूसों में गाय की चर्बी होने की अफवाह ने पूरे देश में विद्रोह की लहर पैदा कर दी थी. उन्होंने कहा, "1857 में हिंदू समाज ने गाय की चर्बी की अफवाह पर विद्रोह किया था. आज, क्या वही समाज तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में गोमांस मिलाने वालों को क्षमा करेगा?"यह सवाल अब धार्मिक और राजनीतिक हलकों में गहरी बहस का विषय बन चुका है. उन्होंने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को केवल एक मुखौटा बताते हुए कहा कि यह हमला हिंदुओं पर एक सोची-समझी साज़िश का हिस्सा है.

नेताओं की बताया मिलीभगत

आचार्य संगम  ने तिरूपति लड्डू में इस्तेमाल हो रहे घी पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि एक किलो शुद्ध घी बनाने के लिए प्राकृतिक परिवेश में रहने वाली गौ से लगभग 30 लीटर दूध की जरूरत होती है। यदि प्रति लीटर दूध की न्यूनतम कीमत 50 रुपए भी मानी जाए, तो केवल घी बनाने के लिए ही 1500 रुपए खर्च होने चाहिए। ऐसे में 600 से 800 रुपए में मिलने वाला घी शुद्ध कैसे हो सकता है?

 

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