संसद भवन में राज्यसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए एक ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी शामिल हुए. उन्होंने संविधान के संरक्षण और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संसद की भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के सबसे गंभीर संरक्षक एक सांसद होता है. खासकर तब, जब देश में लोकतांत्रिक मूल्य खतरे में हो.
हर विषय पर चर्चा संसद में हो सकती है
धनखड़ ने नए सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर लोकतंत्र में को संकट आता है या फिर लोकतांत्रित मूल्यों पर हमला होता है तो सांसदों की भूमिका सबसे अहम हो जाती है. संसद को पूर्ण अधिकार और स्वायत्तता के साथ काम करना चाहिए. सदन में हर विषय पर चर्चा की जा सकती है. किसी भी विषय पर प्रतिबंध नहीं है पर शर्त है कि सब कुछ प्रक्रियाओं के तहत हो. संसद अपनी कार्यवाही के लिए काफी है. संसद में क्या होता है, इस बारे में किसी को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है, फिर वह कोई भी हो.
किसी को खुश करने के लिए व्यक्तिगत हमला बहत गलत है
राज्यसभा उपसभापति ने वर्तमान सदस्यों के आचरण पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा- कुछ सांसद बिना सासंदों की बातों को सुने मीडिया में चले जाते हैं. वे वहां कुछ भी बयान दे देते हैं. कुछ लोगों को खुश करने के लिए व्यक्तिगत हमले करते हैं. यह सरासर गलत है. उन्होंने कहा कि इससे बड़ी विभाजनकारी कार्यवाही कुछ और नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाना लोकतंत्र की जड़ों को हिलाना है. लोकतंत्र के लिए यह बहुत बड़ा खतरा है.
लोकतंत्र भारतीय इतिहास के लिए खराब
धनखड़ ने आपातकाल के दौर को याद किया और उसे लोकतंत्र का सबसे दर्दनाक काल बताया. उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान लोगों के मौलिक अधिकारों को भी छीन लिया गया. नेताओं को कैद कर लिया गया. उन्हें बोलने तक का मौका नहीं दिया गया.