Weather News: 2024 में देशभर के कई राज्यों ने भारी बारिश और बाढ़ का सामना किया है. पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में लगातार बारिश के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ. इस साल उत्तर भारत ने भीषण गर्मी भी झेली, जहां मई-जून के दौरान राजस्थान के कई इलाकों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया. अब गर्मी और बारिश के बाद देश को कड़ाके की ठंड का सामना करना पड़ सकता है. विश्व मौसम संगठन (WMO) ने इस साल सामान्य से अधिक ठंड पड़ने की संभावना जताई है, जिसका कारण ला नीना प्रभाव बताया जा रहा है.
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बढ़ेगी सर्दियों की ठंड
आपको बता दें कि WMO के अनुसार, इस साल उत्तर भारत में ठंड सामान्य से अधिक होगी और सर्दियों का मौसम भी लंबा खिंच सकता है. संगठन के पूर्वानुमान के मुताबिक, साल के अंत तक 60% संभावना है कि ला नीना की स्थिति और मजबूत हो जाएगी, जिससे ठंड और भी तीव्र हो सकती है. इसका असर भारत के उत्तरी भागों में विशेष रूप से महसूस किया जाएगा, जहां कड़ाके की ठंड पड़ने के आसार हैं.
कब होगी कड़ाके की ठंड?
वहीं आपको बता दें कि मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि सितंबर से नवंबर 2024 तक ला नीना की स्थिति बनने की 55% संभावना है, जबकि अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 तक इसके 60% तक मजबूत होने की उम्मीद है. इसका मतलब यह है कि उत्तर भारत के लोग इस साल सामान्य से ज्यादा ठंड का सामना करेंगे. इसके अलावा, ठंड की अवधि भी सामान्य से अधिक लंबी हो सकती है, जिससे सर्दियों का असर लंबे समय तक महसूस होगा.
ला नीना, जानें क्या है इसका प्रभाव?
इसके अलावा आपको बता दें कि ला नीना एक प्राकृतिक जलवायु पैटर्न है, जिसके तहत मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है. इसका असर वैश्विक मौसम पर पड़ता है और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वायुमंडलीय परिसंचरण, जैसे हवा, दबाव और वर्षा के पैटर्न में बदलाव आता है. भारत में ला नीना के दौरान मॉनसून तेज और लंबे समय तक चलता है और सर्दियों में ठंड सामान्य से अधिक होती है. हालांकि, हर ला नीना का प्रभाव समान नहीं होता. यह प्रभाव उसकी तीव्रता, अवधि और अन्य जलवायु कारकों पर निर्भर करता है. आमतौर पर ला नीना का प्रभाव अल नीनो के विपरीत होता है, जिसके कारण मौसम की चरम स्थितियां देखने को मिलती हैं.