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Yasin Malik: अलगाववादी नेता यासीन मलिक बोला, मैं अब गांधीवादी हूं और हथियार छोड़ चुका हूं

यासीन मलिक का कहना है कि उसने 30 साल पहले ही हिंसा छोड़ दी है. अलगाववादी नेता का कहना है कि वह अब गांधीवादी बन गया हूं. उसने यह सब कुछ अपने एक हलफनामें में कही है.

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Jalaj Kumar Mishra
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Yasin Malik

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मैंने 1994 से अहिंसा अपना लिया है. मैं सशस्त्र संघर्ष छोड़ चुका हूं…यह कहना है अलगाववादी नेता यासीन मलिक का. गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) न्यायाधिकरण को दिए अपने हलफनामे में मलिक ने बताया कि मैं अब प्रतिरोध के गांधीवादी तरीके का अनुसरण करता हूं.

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यूएपीए कोर्ट ने पिछले माह जारी किए गए आदेश में यासीन मलिक के हलफनामे का जिक्र किया था. चार अक्टूबर को उसे प्रकाशित किया गया. अदालत ने जेकेएलएफ-वाई को यूएपीए के तहत अगले पांच वर्षों के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित करने का फैसला बरकरार रखा. 

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2022 में हुई थी आजीवन कारावास की सजा

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मलिक 1990 में श्रीनगर के रावलपोरा इलाके में चार भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी है. मामले में उसकी पहचान प्राइमरी शूटर के रूप में हुई थी. मलिक को 2022 में आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. 

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शांति वार्ता के लिए सरकारी अधिकारियों के संपर्क में था यासीन

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यासीन मलिक ने हलफनामे में दावा किया कि वह केंद्र में राजनीतिक और सरकारी पदाधिकारी 1994 से कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान की तलाश में उससे जुड़े हैं. बता दें, अलगावादियों द्वारा उठाए गए कश्मीर मुद्दे की बात की गई है.

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 उसने दावा किया था कि 90 के दशक में विभिन्न सरकारी अधिकारियों ने उसे आश्वस्त किया था कि वह बातचीत से इस विवाद को सुलझाएंगे. उसका दावा है कि मुझे कहा गया था कि अगर वह युद्ध विराम करेगा तो उसके और उसके संगठन के सदस्यों के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमें वापस ले लिये जाएंगे.

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