हे भगवान ये क्या हुआ! इंसान में जानवर की आत्मा, मानव प्रजाति पर स्पीशीज डिस्फोरिया का खतरा

मानव प्रजाति पर इन दिनों एक नया खतरा साये की तरह मंडरा रहा है, जिसका नाम है स्पीशीज डिस्फोरिया (Species Dysphoria). हाल ही में ब्रिटेन में एक ऐसा ही मामला देखने को मिला है.

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Neha Singh
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इंसान में जानवर की आत्मा

इंसान में जानवर की आत्मा

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Species Dysphoria Diseases: क्या हो अगर आपको सामने खड़ा कोई हट्टा-कट्टा इंसान अचानक जानवरों की तरह बर्ताव करने लग जाए. वो खुद को भेड़िया बताने लगे और उसकी हरकतें बिल्कुल किसी जानवर की तरह हो जाएं. उसे देखकर आपके मन में एक वाक्य जरूर आएगा.. क्या इस इंसान में किसी जानवर की आत्मा घुस गई है? मानव प्रजाति पर इन दिनों एक नया खतरा साये की तरह मंडरा रहा है, जिसका नाम है स्पीशीज डिस्फोरिया (Species Dysphoria).हाल ही में ब्रिटेन में एक ऐसा ही मामला देखने को मिला है. चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला. 

जानिए क्या है पूरा मामला

द डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन के एक स्कूल में सब लोग तब हक्के-बक्के रह गए जब एक बच्चे ने खुद को भेड़िया बताया. बच्चे ने कहा कि वह भेड़िया है. यही उसकी पहचान है और इसी के साथ स्कूल में पढ़ना चाहता है. हैरानी वाली बात तो ये है कि स्कूल ने बच्चे को इसकी अनुमति भी दे दी है. दरअसल, स्कूल स्पीशीज डिस्फोरिया से परिचित है, इसलिए स्कूल ने बच्चे के दावे का समर्थन किया है.

इससे पहले भी मामले आए प्रकाश में

हालांकि, ये पहली घटना ऐसी घटना नहीं है. इससे पहले भी ब्रिटेन में ऐसे कई स्कूल हैं जहां बच्चे अलग-अलग जानवरों का व्यक्तित्व अपना कर पढ़ाई कर रहे हैं. यानी इन स्कूलों में कुछ बच्चे अपने आप को सांप, पक्षी, ड्रैगन, लोमड़ी और यहां तक डायनासोर भी बताते हैं.

जानिए क्या है ये स्पीशीज डिस्फोरिया

Species Dysphoria एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है. जिसमें कोई भी व्यक्ति अपनी शारीरिक पहचान से अलग प्रजाति के जीव के रूप में खुद को महसूस करने लगता है. इसे आम बोलचाल की भाषा में लिंग डिस्फोरिया भी कहा जा सकता है. इसमें व्यक्ति को अपने जन्म-जात लिंग से अलग एक अन्य लिंग की पहचान महसूस करता है. स्पीशीज डिस्फोरिया में इंसान अपने आप को मानव मानने की बजाय किसी दूसरे प्रजाति जैसे कि पशु, पक्षी, या किसी अन्य जीव के रूप में खुद को अनुभव करने लगता है.

स्पीशीज डिस्फोरिया से पीड़ित व्यक्ति के साथ क्या होता है?

जब कोई इंसान स्पीशीज डिस्फोरिया से पीड़ित होता है तो वह खुद को भेड़िया, बिल्ली, पक्षी या किसी और जानवर की तरह समझने लगता है. इसकी वजह से उसके व्यवहार में भी बदलाव आने लगता है. उसके इस अनुभव की वजह से उसके विचारों में भी बदलाव दिखता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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