Diphtheria Vaccine: हाल ही में एक खबर सामने आई है, जिसमें एक बच्चे की वैक्सीन लगवाने से मौत हो गई. कानपुर के एक प्राइवेट स्कूल से एक घटना सामने आई है, जिसने सबको चौंका कर रख दिया है. बता दें कि कानपुर के रावतपुर के रहने वाले 9 साल के बच्चे को डिप्थीरिया की वैक्सीन लगाई गई, जिसके बाद उस बच्चे की मौत हो गई. हालांकि बच्चे के परिवार वालों का मानना है कि वैक्सीन लगने के बाद बच्चा ठीक था, लेकिन डॉक्टर की कुछ लापरवाही के कारण बच्चे की जान चली गई. ऐसे में अगर आपके घरों में भी बच्चे हैं, तो आपको इन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
इतने प्रकार के होते है डिप्थीरिया के टीके
डीटीएपी: एक संयोजन टीका जो डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस से बचाव करता है. ये 7 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों को दिया जाता है.
टीडीएपी: एक प्रकार का टीका जो टेटनस, डिप्थीरिया और पर्टुसिस से बच्चों का बचाव करने में मदद करता है. जानकारी के अनुसार ये टीका बड़े बच्चों और वयस्कों को दिया जाता है.
टीडी: एक संयोजन टीका जो टेटनस और डिप्थीरिया से शरीर का बचाव करता है.
क्या है डिप्थीरिया वैक्सीन का काम?
बता दें कि छोटे बच्चों को पांच शॉट्स दी जाती है, जानकारी के अनुसार अधिकतर लोगों को 12 वर्ष की आयु के बाद हर 10 सालों में एक बूस्टर डोज दिया जाता है. ऐसे में सीडीसी का मानना है कि सभी टिनेजर्स को 11 और 12 उम्र की आयु के बीच टीडीएपी की एक खुराक दी जाए. डॉक्टरों के अनुसार बच्चों और वयस्कों डिप्थीरिया का टीका उन्हें डिप्थीरिया नामक बीमारी से बचाने के लिए दिया जाता है. बताया जाता है कि डिप्थीरिया की बीमारी में शरीर में गंभीर सूजन हो जाती है. इससे निमोनिया, फेफड़ों का खराब होना आदि हो सकता है. कई बार तो इस बीमारी से किसी की जान भी जा सकती है. डिप्थीरिया का टीका एक टॉक्सोइड टीका है, जो डिप्थीरिया को रोकने में मदद करता है. जबसे इस टीके को लगाने की शुरूआत की गई है तब से लोगों में लगभग 90% से ज्यादा डिप्थीरिया की बीमारी होने से रोका गया है.
डिप्थीरिया वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स
जो लोग डिप्थीरिया वैक्सीन लगवाते है, उन लोगों में गंभीर बीमारी होने का खतरा कम होता है. लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी होते हैं, जिससे आपको बचाव करना चाहिए. शरीर पर पित्ती, चेहरे, गले में सूजन, सांस लेने में प्रॉब्लम, दिल की धड़कन का तेज होना, चक्कर आना और शरीर में कमजोरी होना जैसी चीजें डिप्थीरिया वैक्सीन के लक्षण हो सकते हैं. आमतौर पर ये कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन अगर मामला गंभीर लगे तो तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)