रेड मीट जैसे बीफ, पोर्क, मटन और भेड़ के मांस को नियमित रूप से खाने से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. वहीं हाल ही में रिसर्च में भी खुलासा हुआ है कि नॉनवेज, विशेषकर रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट ज्यादा खाने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. रिसर्च में खुलासा हुआ है कि रेड मीट आमतौर पर प्रोसेस्ड मीट को कैंसर कारक बताया गया है. आइए आपको इसके बारे में डिटेल में बताते है.
प्रोसेस्ड मीट से होता है ये खतरा
रेड मीट जैसे बीफ, पोर्क, मटन और भेड़ के मांस को नियमित रूप से खाने से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. कुछ रिसर्च्स ने इसे प्रोस्टेट कैंसर से भी जोड़ा है. वहीं प्रोसेस्ड मीट- जैसे बेकन, सॉसेज, सलामी और हॉट डॉग को लंबे समय तक खाने से कोलोरेक्टल कैंसर और पेट के कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है. दरअसल, प्रोसेस्ड मीट में नाइट्राइट्स और नाइट्रेट्स जैसे रसायनों का उपयोग होता है, जो शरीर में कैंसर कारक नाइट्रोसामाइन्स बना सकते हैं.
डीएनए को होता है नुकसान
वहीं रेड मीट में हीम आयरन कैंसर के विकास में काफी जरूरी होता है. वहीं रेड मीट को पचाया जाता है. तो यह आयरन कोलन की कोशिकाओं के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया करता है. जिससे नाइट्रोसामाइन्स नामक कैंसरकारक यौगिक बन जाते हैं. यह यौगिक डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकता है.
कैंसर का जोखिम बढ़ता है
वहीं प्रोसेस्ड मीट को स्टोर करने के लिए नाइट्राइट्स और नाइट्रेट्स जैसे केमिकलों का उपयोग किया जाता है. वहीं शरीर में पहुंचने के बाद ये कैंसर कारक नाइट्रोसामाइन्स में बदल सकते हैं. वहीं इसके अलावा प्रोसेसिंग के दौरान हाई टेंपरेचर पर मांस पकाने से हेटरोसाइक्लिक एमाइन्स और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन्स जैसे हानिकारक केमिकल भी उत्पन्न हो सकते हैं, जो कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. News Nation इसकी पुष्टि नहीं करता है.)